गौरीकुंडः जहां स्नान से मिटती हैं ग्रह बाधाएं व त्वचा रोग

News Publisher  

हमारे देश में ऐसी कई प्राचीन जलधाराएं व जल स्रोत हैं जिनमें स्नान से त्वचा संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं। किन्तु पवित्र गंगा नदी एक ऐसी नदी है जहां स्नान से ग्रह बाधाएं भी मिट जाती हैं। इसी के तट पर है गौरी कुण्ड, मान्यता है कि यहां स्नान करने से ग्रहबाधाएं व त्वचा रोग मिट जाते हैं।

हरिद्वार नगर में बिल्व पर्वत की तलहटी में बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर से आगे स्थित है गौरीकुण्ड। रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड से यह स्थान दो-ढाई किमी की दूरी पर है। बिल्वकेश्वर महादेव से आगे मार्ग के दोनों ओर सागौन के द्घने व5क्षों के बीच चलते हुए इस पवित्र गौरी कुण्ड तक पहुंचा जाता है।
इसके पास ही एक बरसाती जलधारा भी है। गौरी कुण्ड पर पहुंचते ही सामने की दीवार पर इस स्थान की महिमा को बताता यह श्लोक लिखा मिलता है –
हरिद्वारे-कुशावर्ते बिल्वके च नील पर्वते।
स्नात्वा कनखले तीर्थ पुनर्जन्मे न बिधते॥
इस स्थान की महिमा को जानकर मन
श्रद्धा से भर जाता है। शिवालिक पर्वतमाला के बिल्व पर्वत के नीचे स्थित गौरी कुण्ड एक प्राकृतिक जल स्रोत है जिसके ऊपर छत डालकर इस स्थान को मंदिर नुमा आवास बनाया गया है जहां पर पुजारी रहते हैं।
गौरी कुण्ड के जल को एक टंकी में इकट्ठा कर भक्तों के लिए उपलब्ध कराया गया है। श्रद्धालु चाहे तो इस कुण्ड के दर्शन कर सकते हैं। इस कुण्ड पर रविवार के दिन भक्तों की भीड़ रहती है क्योंकि यहां रविवार के दिन स्नान करने का ही विशेष महत्व बताया जाता है।
यहां सेवा कर रहे पुजारी से बातचीत से ज्ञात हुआ कि कुण्ड के पीछे स्थित जिया पोता व5क्ष की छांव के नीचे लगातार पांच रविवार गौरी कुण्ड के जल से जो भी मानव स्नान करते हैं उनकी ग्रहबाधाएं मिटने के साथ-साथ किसी भी प्रकार के त्वचा रोग से मुक्ति मिल जाती है। हमने वह व5क्ष भी देखा जिसकी छाया में स्नान किया जाता है।
विशेष व्यवस्था की गयी है। पुजारी ने बताया कि जिन युवतियों की शादी किसी ग्रह बाधा के कारण नहीं होती। उन्हें मां पार्वती की इस बिल्व पर्वत के गौरी कुण्ड के जल से 5 रविवार जियावोता वृक्ष की छांव में स्नान करने से अच्छा जीवन साथी मिलता है। गौरी कुण्ड के जप स्नान से किसी भी तरह की समस्या के समाधान का मार्ग सरल हो जाता है।
इस जगह शिवजी, चामुण्डा देवी आदि के मन्दिर भी बने हैं। नगर के कोलाहल से दूर यह शान्त स्थल साधकों के लिए उत्तम स्थान है। तीन ओर पर्वतों से द्घिरा तथा चौथी ओर वृक्षों से द्घिरा यह स्थान अत्यन्त मनोरम है। यहां दिन में भी शाम के होने का आभास होता है।
गौरीकुण्ड एक चमत्कारिक सिद्ध स्थल है जैसा कि वहां के पुजारी व नियमित आने वाले भक्तगण बताते हैं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *