शिमला, हिमांचल प्रदेश/नगर संवाददाताः विद्युत नियामक आयोग के हिमाचल प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाने के 20 फीसद के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार लागू करने के पक्ष में नहीं है। चुनावी वर्ष में सरकार बिजली की दरें बढ़ाकर वोटों की गिरावट का करंट झेलने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि सरकार ने विद्युत नियामक आयोग को अभी दरें न बढ़ाने के लिए कह तो दिया है लेकिन बिजली बोर्ड 30 फीसद दरें बढ़ाने की मांग को प्रबल तरीके से उठा चुका है। सूत्रो के अनुसार, ऊर्जा मंत्री ने विद्युत नियामक आयोग के अधिकारियों को भी स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अभी दरें न बढ़ाई जाएं। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग की परेशानियां भी बढ़ गई है कि एक ओर तो बिजली बोर्ड घाटे का रोना रो रहा है और 30 फीसद दरें बढ़ाने पर जोर दे रहा है जबकि सरकार इस संबंध में मना कर रही है। बिजली की दरों को लेकर अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आदेश को जारी किया जाना है। प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली बोर्ड के 30 फीसद दरें बढ़ाने की मांग को लेकर 20 प्रतिशत दाम बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें साठ पैसे से एक रुपये प्रति यूनिट तक दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। बिजली बोर्ड के अफसरों ने तीस फीसद दरें बढ़ाने की मांग उठाई थी जबकि जन सुनवाई के दौरान इसका विरोध किया गया। विद्युत नियामक आयोग ने पहली अप्रैल, 2016 को बिजली की दरों को तीन फीसद बढ़ाया था जबकि राज्य विद्युत बोर्ड ने 33 फीसद दरें बढ़ाने की मांग की थी। बिजली बोर्ड ने कहा है कि 5600 करोड़ रुपये सालाना खर्च है, जबकि करोड़ो रुपये की कमी वेतन और पेशन देने मे आ रही है।
हिमाचल में महंगी नहीं होगी बिजली
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