सड़क दुर्घटना से पति की मृत्यु , आर्थिक तंगी से विधवा महिला की जिंदगी हुई बदहाल

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नागौर, गोविंद नारायण :  खबर राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर उपखंड की है /कहते हैं कि हर दीन दुःखी का रखवाला भगवान होता है । लेकिन एक तरफ भगवान उनसे सुख देकर भी वापस खींच लेते हैं तो दूसरी तरफ सरकार भी योग्य व्यक्ति को जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखती है तो ऐसे में एक विधवा महिला का जीना कितना सुखदायी होगा? ऐसी ही एक दुःखद कहानी खींवसर उपखंड क्षेत्र के भुण्डेल ग्राम पंचायत की विधवा महिला चुकी देवी मेघवाल (उम्र 26 वर्ष) की है । जिनके तीन वर्ष पूर्व (2018) अपने पति मदनलाल मेघवाल (उम्र 28 वर्ष) की असामयिक मृत्यु हो गई थी । जिसके बाद आर्थिक तंगी के चलते अपने तीन बच्चों ( विक्रम 7 ,शोभा 5 व सहदेव 4 वर्ष ) की शिक्षा एवं आजीविका चलाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है ।

पति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु

शादी के बाद श्रीमती चुकी देवी मेघवाल की जिंदगी धीरे-धीरे सही थी परन्तु संतोषजनक एवं सुखदायक चल रही थी । पति निर्माण श्रमिक मिस्री का काम करता था और वह दिहाड़ी मजदूरी करके अपने घर की आजीविका चलाते थे । लेकिन तीन वर्ष पूर्व चावण्डिया फांटा के पास मोटरसाइकिल एवं जीप की भिड़ंत से पति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई । जिस कारण से उन पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा था ।

नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ

पति की मृत्यु के बाद भी विधवा महिला को अभी पीएम आवास सरकारी योजना का लाभ तक नहीं मिला । अभी तक इनका नाम खाद्य सुरक्षा योजना में नही जोड़ा गया । इनके घर में न तो बिजली ,न पीने की पानी का टांका और न शौचालय की सुविधा है । उनका कच्चा आवास भी घास फूस की झौंपड़ी से बना हुआ है । जिसमे बारिश के दिनों में अत्यधिक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है ।

पति की मृत्यु के बाद अपनों ने मोड़ा मुँह

जब किसी इंसान पर दुःख या संकट आता है तो मानवता के नाते उनके समाज वाले उनके दुःख में हाथ बटाते हैं । लेकिन चुकी देवी के पति के निधन के बाद आज तक सहयोग के लिए न तो समाज का कोई भी व्यक्ति आगे आया और न क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि । इसके बावजूद भी बेसहारा महिला जैसे-तैसे करके नरेगा मे जाकर अपना गुजारा चलाती है ।

कैसे करें बच्चों के सपने पूरे ?

हर माता-पिता का फर्ज होता है कि वो अपने बच्चों का अच्छा लालन-पालन कर उन्हें बेहतर शिक्षा दिलाकर कामयाब बनाएं । जब बिना आजीविका एवं बिना आमदनी अपने घर का गुजारा चलाना भी मुश्किल है । ऐसे में अपने बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दिलाना उनकी कल्पना से बाहर की बात है ।

अपनी दुःखद दास्ताँ बताए हुए चुकी देवी मेघवाल ने अपने घर की हालत बताते हुए सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करने एवं घर का गुजारा एवं बच्चों की शिक्षा दिलाने के लिए 36 कोम के भामाशाहों ,समाजसेवियों एवं जनप्रतिनिधियों से हाथ जोड़कर आर्थिक सहयोग करने की अपील की है ।