देशहित हेतु कोटा के पांच देशप्रेमी वैक्सीन टेस्ट को तैयार

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मुंबई/दीपक लखमीचंद बसवाला: वैश्विक महामारी कोरोना से पूरा विश्व जूझ रहा है सभी देश इसके इलाज के लिए दिन रात प्रयास कर रहे है ताकि जल्द से जल्द इस वायरस से मुक्ति मिल सके और मानव जाति को बचाया जा सके। हर व्यक्ति इस बीमारी से बचने के तरीके खोज रहा है परन्तु इसका पक्का इलाज वायरस को रोकने वाला वैक्सीन ही होगा। जिसके लिए पूरे विश्व में युद्ध स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन, डॉक्टर और वैज्ञानिक प्रयास कर रहे। वैक्सीन के सफल परिक्षण के लिए इंग्लैंड में मानव पर परिक्षण हो भी चुका है। परन्तु अभी तक किसी भी देश को इसमें सफलता नहीं मिली है। रोज हजारों लोग इस वायरस की चपेट में आने से मर रहे है। अतः अब भारत को इस क्षेत्र में किसी अन्य देशों पर निर्भर रहने के स्थान पर स्वयंप्रभु संपन्न होना चाहिए और स्वदेशी वैक्सीन बनाने की और तीव्र कदम बढाने चाहिए। इसी श्रृंखला में सोसाइटी हैस ईव संस्था की अध्यक्ष डॉ. निधि प्रजापति के द्वारा अपने सदस्यों से भारत में बनने वाली वैक्सीन का मानवीय टेस्ट स्वंय पर करने की अपील की गई जिसके कुछ देर पश्चात ही समूह के 5 सदस्यों ने अपने शरीर पर वैक्सीन के पड़ने वाले प्रभाव और गुणवत्ता की जाँच के लिए वैक्सीन टेस्ट के लिए सहर्ष स्वीकृति प्रदान की वैक्सीन के मानवीय परिक्षण के लिए स्वयं डॉण् निधि प्रजापति, कोटा की सरकारी नवाचारी शिक्षिका शोभा कँवर, नेशनल वेट लिफ्टर मधुलिका धर्मेन्द्र, प्रेरणा फायर एंड सेफ्टी इंस्टीट्यूट की निदेशक कविता शर्मा और शोधार्थी पवन राज ने अपने शरीर पर टेस्ट करने की आग्रह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से किया। पत्र की प्रतिलिपि और सभी सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त सहमति पत्रों की कॉपी कोटा में कोरोना की जंग से फ्रंट फुट पर लड़ रहे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अध्यक्ष डॉ. विजय सरदाना को प्रदान की गई। इस अवसर पर डॉ. विजय सरदाना ने भी सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा की जब भी देश में इसकी जरूरत होती है तो देशहित और देशप्रेम के इस पुनीत कार्य में आप सभी सदस्यों का सहयोग लिया जायेगा। सभी ने वैक्सीन टेस्ट की अनुमति इसलिए प्रदान की क्योंकि भारत की भौगोलिक परिस्तिथियाँ चीन,
इटली, इंग्लैंड, अमेरिका आदि देशों से बिलकुल पृथक है ऐसे में यदि वैक्सीन का भारतीय भौगोलिक परिस्तिथि में रहने वाले इंसानों पर परिक्षण नहीं किया गया तो हो सकता है की इम्पोर्टेड वैक्सीन की विश्वसनीयता, सार्थकता और वैधता पर प्रश्नचिह्नं लग जाये। ऐसे में देश को इस खतरे से बचने की लिए सभी सदस्यों ने अपनी जान इस मातृभूमि को अर्पित करने का निर्णय लिया।

वैक्सीन टेस्ट को तैयार

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