कोरोना काल ने देश में एक भयानक त्राश्दी लाने के अलावा, कुछ छुपे हुए प्रतिभाशाली चेहरों को सामने लाने का काम भी किया

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सिलीगुड़ी, घनश्याम पांडिया : कोरोना काल ने देश में एक भयानक त्राश्दी लाने के अलावा, कुछ छुपे हुए प्रतिभाशाली चेहरों को सामने लाने का काम भी किया, जो देश और समाज के लिए कुछ बेहतर प्रयास करने में जुटे हुए हैं। इस कहर के डर से लोग अपने-अपने घरों में रहने पर मजबूर हो गए हैं ऐसे में लोग अपने-अपने तरीके से घर पर जीने की कला सीख चुके है और सीख रहे हैं। बंद घरों में भी रहकर लोग अपने अंदर की कला को निखार कर बाहर निकाल रहे हैं कोई कहानी लिख रहा है तो कोई कविताएं तो कोई अपनी गायकी के सुर साध रहा है।
उनमें से एक है युवा लेखक कीर्ति आनंद ;अरुण पारीकद्ध। जो अपने लेखन के माध्यम से हर आयु वर्ग के लोगों में अच्छे सुविचार तथा सकारात्मकता जैसी भावनाओं को जाग्रत करने का काम कर रहे है। इनका ये प्रयास सभी क्षेत्र और आयुवर्ग के लोगों के लिए और खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी के लिए काफी मददगार और मार्गदर्शक है।
उनकी किताब ‘ओ तेरी’ (प्रेरणा भोजन की तरह होती है) को हर उम्र के पाठकों द्वारा सराहा गया है, वही इस पुस्तक की कुछ दैनिक अखबारों में सकारात्मक समीक्षा की गयी है. कीर्ति आनंद द्वारा लिखी गई इस किताब से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक भाव के साथ अपने जीवन को एक नया रूप दे सकता है यह एक सार्थक प्रयास है की इस किताब के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
‘ओ तेरी’ किसी शब्दकोष का शब्द नहीं है लेकिन जब कभी आपके जीवन में अचानक से कुछ ऐसा घटे, जिसकी आप उम्मीद ना करते हो तो ये शब्द अनायास ही आपके मुँह से उच्चारित हो जाता है. आजकल की इस भागदौड़ भरे जीवन में लोग अपने लिए वक़्त निकालना भूल चुके है.
‘ओ तेरी’ (प्रेरणा भोजन की तरह होती है) पुस्तक में कुल 9 अध्याय सम्मिलित किये गए है जो सभी अलग अलग विषयों पर लिखे गए है. जिसमे प्रेरणा, सकारात्मक सोच, ध्यान, विश्वाश, अविश्वास, अंधविश्वास, जीवन की सम्पत्तियों के प्रकार जैसे अलग अलग सारगर्भित अध्याय है, जिनको बहुत ही नपे तुले शब्दों में लिखा गया है. पुस्तक छोटी और सराहनीय है, किसी भी अध्याय को बोझिल नहीं बनाया गया है. पुस्तक में शब्दों का संग्रह बहुत ही लुभावना और प्रभावित करने वाला है.
इस पुस्तक की सफलता के बाद लेखक की इसी पुस्तक के 5 भाग, इसी वर्ष के अंत तक पाठकों को उपलब्ध होंगे. एक समीक्षक के नाते में मैं इस पुस्तक को पढ़ने की सलाह दूंगा क्यों की ये मेरी प्रिय पुस्तकों की सूचि में शामिल हो चुकी है. पाठकों के लिए पुस्तक अमजेन और फ्पिकार्ट पर उपलब्ध है.