नई दिल्ली, नगर संवाददाता: हत्या के मामले में गिरफ्तार दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और पूजा ढांडा को अगले महीने होने वाली समीक्षा बैठक के बाद उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के कारण भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के वार्षिक अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची से बाहर किया जा सकता है।
डब्ल्यूएफआई और प्रायोजक टाटा मोटर्स के बीच बैठक 2020 में होनी थी लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे टाल दिया गया।
डब्ल्यूएफआई के एक सूत्र ने बताया कि सुशील को हटाने का फैसला पूरी तरह से प्रदर्शन के आधार पर किया गया है और छत्रसाल स्टेडियम में साथी पहलवान सागर धनखड़ की हत्या में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तारी से इसका कोई लेना देना नहीं है।
डब्ल्यूएफआई सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि अनुबंध की पेशकश किए जाने के बाद से सुशील और पूजा ने कुछ उल्लेखनीय नहीं किया है। अगले महीने जब समीक्षा बैठक होगी तो वे अनुबंध हासिल नहीं कर पाएंगे।’’
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) से सबक लेते हुए डब्ल्यूएफआई ने 2019 में अपने खिलाड़ियों को केंद्रीय अनुबंध की पेशकश की थी। लगभग 150 पहलवानों को एक साल का अनुबंध मिला था जिसकी समीक्षा होनी थी।
शुरुआत में ग्रेड बी में रखे जाने के बाद सुशील को ग्रेड ए में जगह मिली थी। ग्रेड ए में 30 लाख जबकि ग्रेड बी में 20 लाख रुपये का वार्षिक भुगतान होता है। पूजा को भी ग्रेड ए में रखा गया था।
सुशील जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में कोई पदक नहीं जीत सके थे और 2019 विश्व चैंपियनशिप के पहले दौर में ही बाहर हो गए। वह इसके बाद किसी टूर्नामेंट में नहीं खेले।
विश्व चैंपियनशिप 2018 की कांस्य पदक विजेता पूजा ने 57 किग्रा वर्ग में अपना स्थान गंवा दिया है। उन्होंने 2020 में प्रतिस्पर्धा पेश नहीं की और उन्होंने पिछला पदक जुलाई 2019 में ग्रां प्री आफ स्पेन में रजत पदक के रूप में जीता था।
डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर ने इन दोनों पहलवानों के बाहर करने की पुष्टि नहीं कि लेकिन संकेत दिया कि इस कदम से इनकार भी नहीं किया जा सकता।
तोमर ने कहा, ‘‘सभी फैसले बैठक में ही होंगे लेकिन यह तय है कि प्रायोजकों के पैसे को ऐसे ही नहीं बांटा जाएगा। हमें पैसे का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना होगा।’’
हत्या के मामले में सुशील की कथित संलिप्तता से पहले ही सवाल उठाए जा रहे थे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टूर्नामेंटों में नहीं खेलने के बावजूद उन्हें डब्ल्यूएफआई ने अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची में क्यों रखा है।
इस पर तोमर ने कहा, ‘‘सुशील को 2020 में उसके अनुबंध की पूरी राशि नहीं दी गई। देखिए, हमने 2020 में किसी पहलवान को नया अनुबंध नहीं दिया क्योंकि समीक्षा नहीं हुई। हमने सुशील को 2020 में एक तिमाही की राशि ही दी और इसके बाद उसे कोई पैसा नहीं मिला क्योंकि वह प्रतिस्पर्धा पेश नहीं कर रहा था।’’
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के अनुबंध पर भी नजरें होंगी जिन्हें पिछले 15 महीने में युवा सोनम मलिक के खिलाफ 62 किग्रा वर्ग में चार बार हार झेलनी पड़ी है।
ग्रेड ए का अनुबंध हासिल करने वाली साक्षी को गैर ओलंपिक 65 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश करने को बाध्य होना पड़ा जिस वर्ग में उन्होंने पिछले महीने अल्माटी में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
तोमर ने कहा कि अच्छी संभावना है कि 50 किग्रा वर्ग में तोक्यो खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली सीमा बिस्ला को अनुबंध मिल जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि सीमा को शीर्ष वर्ग में रखा जाएगा लेकिन उसे अनुबंध मिलना चाहिए। उसने अपने अच्छे प्रदर्शन से हम सभी को हैरान किया है। साथ ही डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बीबी शरण ने युवा अंशु मलिक और सोनम प्रत्येक को शानदार प्रगति के लिए ढाई-ढाई लाख रुपये दिए हैं।’’
तोमर ने कहा, ‘‘साथ ही हम 60 जूनियर (7500 प्रति माह) और कैडेट (5000 प्रति माह) को एक तिमाही का पैसा भी जारी कर रहे हैं।’’