कोटा, लोकेश शर्मा : श्री करणी नगर विकास समिति के आश्रय भवन में आयोजित गोष्ठी में उक्त विषय पर बोलते हुए पर्यावरण परिषद एवं आई. सी. टी डी. की प्रमुख सदस्य प्रोफेसर श्रीमती डॉ नीरजा श्रीवास्तव ने प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया कि पर्यावरण हमारा जीवन है उसे बचाकर ही हम जिंदा रह सकते हैं। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न संस्थाओं और सरकार का दायित्व है कि इसको समझें और प्रकृति को बचाएं। पेड़ों की रक्षा महत्वपूर्ण है वही ऑक्सीजन देते हैं जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं। हमें अपनी सुरक्षा स्वयं करनी है हमें आकाश, समुद्र और पेड़ पौधों को सुरक्षित रखना चाहिए। पक्षियों और कीट पतंगों की भी रक्षा करनी है क्योंकि वे पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। आज विश्व खतरे में है। हमें अपने आप को ही सजग रखना होगा हम हर वर्ष लाखों पेड़ लगाते हैं परंतु संरक्षित नहीं रखते अन्यथा पेड़ों की कभी कमी नहीं रहेगी। जंगल काटे जा रहे हैं नए पेड़ पनप नहीं रहे हैं। हमें कर्तव्य को समझना चाहिए। जो देश जमीन पेड़ पौधों को नष्ट करते हैं वे मानवता के विद्रोही होते हैं। प्लास्टिक को नकारे, पर्यावरण को समझें और बचाएं। श्री यज्ञदत्त हाडा ने समिति द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण प्रस्तुत किया। श्रीमती गीता दाधीच ने कहा कि यदि मन में ठान ले तो पर्यावरण को बचाया जाना संभव हो सकता है जैसे डॉक्टर एल. के. दाधीच ने ठाना तो पर्यावरण को बचाने के अनेक प्रयत्नों को संपन्न करने का प्रयास किया। श्रीमती दाधीच ने कहा कि बिगाड़ना हमारे हाथ में है तो सुधारना भी हमारे हाथ में ही है। डॉक्टर अमित राठौड़ ने बताया कि किसानों ओर ग्रामीणों को भी समझाना पडेगा कि जंगल और पेड़ों को बचाना है। हमें अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य को पर्यावरण के महत्व को समझाना होगा। हमें ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जो कि 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं। प्रोफेसर हरिमोहन शर्मा ने “पेड़ की चेतावनी” नामक कविता का पाठ किया। अन्त में श्री सी. एम. सक्सेना ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
जीवन जीने की कला हम और हमारा पर्यावरण
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