जयपुर, महेंद्र सिंह: बारिश के कारण इस बार उत्तरी राजस्थान समेत कई जिलों में नमी रही, यही कारण रहा कि अमूमन जनवरी में चूरू, झुंझुनूं, फतेहपुर जैसे एरिया जो माइनस में जाते थे, इस बार जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचे। हालांकि हिल स्टेशन माउंट आबू में इस बार सर्दी का नया रिकॉर्ड बन गया। आबू में इस महीने 15 दिन पारा माइनस या जीरो पर रहा। मौसम विभाग का दावा क्यों गलत साबित हुआ।
जनवरी के शुरुआत में पहले सप्ताह तक अमूमन सर्दी तेज पड़ती है, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर कम होने लगता है। मकर संक्रांति बाद सूरज के तेवर तेज होने लग जाते हैं। इस बार 4 जनवरी को राज्य में जो पश्चिमी विक्षोभ आया वह बहुत सक्रिय था। इस विक्षोभ के जाने के बाद इसके तुरंत बाद एक नया विक्षोभ और सक्रिय हुआ। इस कारण राज्य में 4 से लेकर 8 जनवरी तक बारिश का दौर चला। गंगानगर, अलवर, अजमेर में एक से डेढ़ इंच तक बरसात हुई। जयपुर, जैसलमेर, सवाई माधोपुर समेत कई जगह ओले गिरे। वहीं 21 से 23 जनवरी तक फिर एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आया, जिसके कारण सीकर, अलवर समेत कई जगहों पर एक से डेढ़ इंच तक बरसात हुई। इन सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से इतनी बारिश का अनुमान मौसम विभाग को भी नहीं था।
फसलों को फायदा
तेज सर्दी पड़ने और मावठ होने का सबसे ज्यादा असर फसलों पर देखने को मिला। इस बार समय-समय पर हुई अच्छी बारिश के कारण रबी की फसलों को सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ी। वहीं इस बार ज्यादा समय नमी अच्छी होने और कोहरा पड़ने के कारण सीकर, फतेहपुर, चूरू, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जैसे इलाकों में तापमान भी जीरो डिग्री तक नहीं पहुंचा। सर्दी गेहूं, सरसों, चना, जौ आदि के लिए अच्छी रही। यही कारण रहा कि इस बार रबी की फसल का कुल लक्ष्य 10 हजार 80 हैक्टेयर में बुवाई का था और 13 जनवरी तक प्रदेश में बुवाई 10 हजार 84 हैैक्टेयर से भी ज्यादा रही। हालांकि ज्यादा सर्दी पड़ने और बार-बार बारिश होने से मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, वायरल फीवर के केस बढ़़ गए। वहीं अस्थमा, सीओपीडी, हार्ट से जुड़े मरीजों को भी तकलीफ ज्यादा रही।
बारिश के कारण इस बार उत्तरी राजस्थान समेत कई जिलों में नमी रही
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