गाजियाबाद, नगर संवाददाता: केन्द्रीय आर्य युवक परिषद ने ष्मृत्यु से अमृत की ओरष् और प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय के 164 वें बलिदान दिवस पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया। वेबिनार में वैदिक विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने मृत्यु से अमृत की ओर कैसे बढ़ा जाए विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि त्र्यम्बक परमात्मा ही अमृत का दाता है उससे जुड़कर ही उसकी शरणागति प्राप्त हो सकती है। उसकी वेद आज्ञा में चलकर निष्काम कर्म करते हुए शुद्ध उपासना से ही उसका दर्शन सम्भव है। इसके बाद सभी मंगल पांडे के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के जनक प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि मंगल पांडे को अंग्रेज अधिकारियों पर गोली चलाने व हमला करने के कारण उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। जब उन्हें फांसी होनी थी तो कलकत्ता की बैरकपुर जेल के जल्लादों ने फांसी देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद बाहर से जल्लादों को बुलाकर 10 दिन पहले ही उन्हें फांसी दिलवा दी गई थी। अलीगढ़ गुरुकुल साधु आश्रम के प्रधानाचार्य जीवनसिंह शास्त्री ने कहा कि मृत्यु से अमृत की ओर बढ़ने के लिए ईश्वर के प्रति समर्पण आवश्यक है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ रामचंद्र ने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास क्रांतिकारियों ने अपने रक्त से लिखा है उनके बलिदान को स्मरण रखने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री प्रवीण आर्य ने नई पीढ़ी से देश के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।इस मौके पर आचार्य महेंद्र भाई, डॉ रचना चावला, सौरभ गुप्ता, दीप्ति सपरा, आशा आर्या, रवीन्द्र गुप्ता,आनन्द प्रकाश आर्य आदि मौजूद रहे।
मंगल पांडे के 164वें बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
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