देहरादून, उत्तराखंड/नगर संवाददाताःउत्तराखंड सरकार ने सातवें वेतनमान को लागू करने का फैसला तो लिया, लेकिन अब इसी फैसले से सरकार के सामने मुश्किल भी खड़ी हो रही है। राज्य के निगमों, स्थानीय निकायों और सहायतित संस्थाओं के करीब 65 हज़ार कर्मचारी आंदोलन पर खड़े हो रहे हैं। क्योंकि सातवें वेतनमान लागू होने के फैसले में इन कर्मचारियों को बाहर ही रखा जा रहा है। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से लागू करने और 2017 से नया वेतन देने का फैसला लिया है। सरकार को उम्मीद थी कि इस फैसले से कर्मचारी वर्ग खुश होगा हालांकि ऐसा हुआ भी लेकिन कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग नाराज़ भी हो गया है। ये कर्मचारी निगमों, सहायतित संस्थाओँ और स्थानीय निकायों के हैं। जिनको पिछली कैबिनेट के फैसले में सातवें वेतन आयोग का लाभ देने से बाहर रखा जा रहा है। राज्य में राजकीय कर्मचारियों के 2 लाख 16 हज़ार 275 पद भरे हुए हैं। सहायतित संस्थाओं में कुल 20 हज़ार 379 पद भरे हुए हैं। राज्य के विभिन्न निगमों में 24 हज़ार 432 पद भरे हुए हैं। दूसरी तरफ निकाय कर्मचारियों की संख्या करीब 15हज़ार मानी जाती है। साथ ही एक लाख से ज्यादा पेंशनर्स भी हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के फैसले से करीब सवा दो लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स तो खुश हुए लेकिन बाकी करीब 65 हज़ार कर्मचारी नाराज़ हो गए हैं और अलग अलग निगमों में गेट मीटिंग शुरु करके विरोध जताना शुरु कर दिया गया है। दरअसल सातवें वेतन आयोग को लागू करने को लेकर कर्मचारी वर्ग सरकार की तरफ उम्मीद भरी नज़रे गड़ाए हुए था। राज्य सरकार ने भी चुनावी नफा-नुकसान का हिसाब लगाकर कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग को लेकर वेतन समिति की रिपोर्ट को लागू करने का फैसला कर दिया। लेकिन इस चुनावी गुणाभाग में जब खर्च का हिसाब लगाया तो करीब 3200 करोड़ रुपये का सरकार पर अतिरिक्त बोझ सवा दो लाख कर्मचारियों के वेतन बढ़ने से ही पड़ रहा है। वेतन समिति के अध्यक्ष इंदु कुमार पाडेय का कहना है कि समिति ने निगमों सहित सभी कर्मचारियों के लिए अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। किस पर क्या फैसला लेना है ये सरकार को तय करना है। हालांकि अभी सरकार के फैसले का आदेश जारी होना बाकि है जिसमें नए वेतन को स्पष्ट किया जाएगा। लेकिन माना जा रहा है कि नए वेतनमान से कर्मचारियों का वेतन कम से कम 3 हज़ार से 15हज़ार तक बढ़ सकता है।
सातवें वेतनमान से बाहर रहने पर निगम-निकाय कर्मचारियों में नाराज़गी
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