गुरुग्राम, हरियाणा, नगर संवाददाता: सार्वजनिक स्थानों पर जुमे की नमाज के मुद्दे को लेकर चल रहे विवाद के बीच गुरुग्राम इमाम संगठन आगे आया है। मंगलवार को संगठन की ओर से उपायुक्त डा. यश गर्ग को एक ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें कहा गया है कि गुरुग्राम इमाम संगठन ने तथाकथित मुस्लिम संगठनों से स्वयं को अलग कर लिया है। अब संगठन के स्वतंत्र प्रबंधन में जिला प्रशासन और हिदू संगठनों की सहमति से ही भविष्य में तय 20 स्थानों पर नमाज पढ़ाने का काम करना चाहते हैं, ताकि भविष्य में बाहरी व्यक्ति इसमें हस्तक्षेप न कर सकें।
जिला उपायुक्त को ज्ञापन देने वालों में संगठन के सदर मौलाना मोहम्मद शमनू कासफी, नायब सदर कारी मोहम्मद आरिफ, सचिव मौलाना जुनैद मोईनी, सह सचिव मौलाना मोहम्मद अरशद मिफ्ताही, खजांची मौलाना मोहम्मद ताहिर सहित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक खुर्शीद राजाका के नाम शामिल हैं।
उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में गुरुग्राम इमाम संगठन ने लिखा है कि इमाम काफी समय से जिले के विभिन्न स्थानों पर मुस्लिम समाज को जुमा की नमाज पढ़ाते आ रहे हैं। हम सभी राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ-साथ कानून का पालन करने वाले हैं। कौमी एकता को मजबूत करने वाले हम सभी गुरुग्राम के अमन को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया है। उपायुक्त कार्यालय में इसी माह तीन नवंबर को आम सहमति से 37 स्थानों की जगह 20 स्थानों पर नमाज पढ़ाने की सहमति बनी थी। अब देखने में आया है कि कुछ लोग मुस्लिम समाज के हमदर्द बनकर मीडिया और प्रशासन के सामने अनावश्यक बयान दे रहे हैं, जो कि उचित नहीं हैं। यह हिदू-मुस्लिम एकता को नुकसान पहुंचाने और कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही ऐसे लोग सरकार को भी बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।
संगठन के पदाधिकारियों ने उपायुक्त को विश्वास दिलाया है कि भविष्य में नमाज पढ़ाने की वजह से शहर में कोई अनावश्यक विवाद नहीं पैदा नहीं होने देंगे। साथ में यह भी कहा कि यदि हमारे किसी इमाम की वजह से कोई समस्या खड़ी होती है तो उसके नमाज पढ़ाने पर पाबंदी लगा दी जाएगी। संगठन ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि गुरुग्राम इमाम संगठन को नमाज पढ़ाने और इसके प्रबंधन को लेकर अधिकृत समझा जाए ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न आए।
नमाज के विवाद को विराम लगाने के लिए गुरुग्राम इमाम संगठन को मैं बधाई देता हूं। जुमे की नमाज का विषय अवाम और इमाम का है। इस मामले में किसी बाहरी व्यक्ति या राजनीतिक दल का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।