पठानकोट, पंजाब, इंदरजीत, पवन: पठानकोट बाल्मिकी चौक में रथयात्रा निकालते हुए। विशेष रुप से मनोज नन्ना, रवि कांत मुनि जी और स्वामी बंसी लाल जी, और अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे विशेष रुप से रवि कांत मुनि जी ने बताया कि सरकार द्वारा हिंदू मंदिर एक्ट बनाने की मांग की गई है इस एक्ट का पूरा नाम देवालय देवस्थान प्रबंधन एक्ट है, यह एक्ट हिन्दू समाज द्वारा पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता के साथ अपने हिन्दू धर्म स्थानों की आजादी उनकी मूल परंपराओं सिद्धार्थ और दर्शक आदि को सुरक्षित और बिना मंदिरों के प्रबंधन और संचालन की अवस्था बन सके। पंजाब सरकार द्वारा हिन्दू धर्म स्थान 3 तरह से सरकार के निमंत्रण में है।
1, कुछ स्थान सीधे तौर पर सरकार मैनेजमेंट करती है। जैसे पटियाला में श्री काली माता मंदिर, श्री बद्रीनाथ मंदिर, श्री केदारनाथ मंदिर, श्री रघुनाथ मंदिर इत्यादि
2. पंजाब में हमारे कई धर्म स्थानों पर प्रबंध को लेकर विवाद खड़ा करके सरकार द्वारा रिसीवर नियुक्त करके हमारे धर्मस्थानों का प्रबंध सरकार ने अपने हाथ में ले रखा है
3. हमारे माफीलैंड से संबंधित धर्मस्थानों में सरकार महंत या मोहतमीम नियुक्त करती है फिर उनको अपने हिसाब से चलाती है जैसे पंजाब के संगरूर जिला के मलेरकोटला तहसील में डेरा बाबा आत्माराम जी में सरकार ने अपने मुताबिक महंत नियुक्त करके उस डेरे की सैकड़ों विधा जमीन की रजिस्ट्री सरकार के नाम तब्दील कर दी गई पंजाब में हमारे माफीलैंड से संबंधित धर्मस्थानों की मिनती हजारों में है।
वास्तविक और जरूरत पंजाब के मंदिरों में चढ़ावा और अन्य सूत्रों से होने वाली कमाई का बजट कई लाख करोड़ों में है, यह सारा बजट सरकार और अधिकारियों के खजाने में आता है बदले में हिन्दू समुदाय को कुछ नहीं दिया जाता यदि हिंदू मंदिर एक्ट लागू होता है तो इसमें प्रावधान है कि लाखों करोड़ों के बजट को गरीब परिवारों की शिक्षा और चिकित्सा पर खर्च किया जा सके इस चढ़ावे से अस्पताल स्कूल और गरीबों के रोजगार की व्यवस्था पैदा की जाएगी समाज की बेहतरी का संकल्प लेकर इस अभियान को शुरू किया जा रहा है जिसमें कड़ी धर कड़ी जुड़ कर एक नया अध्याय लिखने जा रही है हम सभी हिंदूओं भाइयों आप अपने संपर्क के हर सनातन हिंदू से मंदिर एक्ट के समर्थन में हस्ताक्षर करवाए और इस संतानी हिन्दू के घर/दुकान पर हिन्दू मंदिर एक्ट के समर्थन वाला भगवा झंडा लगाएं।
सरकार द्वारा पंजाब में हिंदू मंदिर एक्ट बनाने की मांग
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