ओएलएक्स पर कारपेट बेचने के लिए डाला विज्ञापन, हो गई 3 लाख 76 हजार की ठगी

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गुरुग्राम, नगर संवाददाता: साइबर ठगों से बचने के लिए बैंक लोगों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर लगातार मेसेज कर रही है। इसके बावजूद लोग इनके झांसे में आ जा रहे हैं। ऐसे ही झांसे में आने पर एक युवक ने अपने 3 लाख 76 हजार रुपये गवां दिए। युवक ने ओएलएक्स पर कारपेट बेचने के लिए विज्ञापन डाला और ठगों ने खरीदने का झांसा देकर खाते से 3 लाख 76 हजार रुपये उड़ा दिए। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने करीब 2 महीने बाद केस दर्ज किया है।

पुलिस के मुताबिक, साउथ सिटी-1 सेक्टर-40 निवासी एक कंपनी के मैनेजर ठगी के शिकार हुए हैं। उन्होंने दिसंबर में पुराना कारपेट बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन डाला था। 27 दिसंबर को संदीप नामक युवक का उनके पास कॉल आया। कॉलर ने कारपेट खरीदने की इच्छा जताई। वह एडवांस के तौर पर पैसा देना चाहता था। इसके लिए आरोपी ठग ने एक क्यूआर कोड भेजा। उसने कहा कि क्यूआर कोड स्कैन करने पर उनके खाते में 200 रुपये क्रेडिट हो जाएंगे।

उन्होंने क्यूआर कोड स्कैन किया तो उनके खाते से 5100 रुपये कट गए। फिर ठग ने कहा कि गलती से पैसे उनके खाते से कट गए हैं, वह दोबारा क्यूआर कोड भेज रहा है। दोबारा क्यूआर कोड स्कैन करने पर फिर से उनके खाते से 27 हजार रुपये कट गए। इसी तरह से ठग ने तीन बार में 76 हजार रुपये खाते से निकाल लिए। इसके बाद पीड़ित से ठग संदीप ने कहा कि पैसे गलती से उसके खाते में क्रेडिट हो रहे हैं। अगर वह अपना खाता नंबर बताते हैं तो वह इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से उनके खाते में लिए हुए सारे पैसे ट्रांसफर कर देगा।

इसके बाद उन्होंने एकाउंट नंबर उसे बता दिया। खाता नंबर बताने के दो घंटे बाद भी रुपये नहीं आने पर उन्होंने जब दोबारा संदीप को कॉल किया तो उसने कहा कि इंटरनेट बैंकिंग से उनका खाता नंबर जुड़ नहीं रहा है। अगर वह अपने इंटरनेट से संदीप का खाता नंबर जोड़ते हैं तो वह पैसे वापस भेज सकता है। इसके बाद जैसे ही ठग का खाता नंबर जोड़ा, उनके खाते से तीन बार में तीन लाख रुपये निकल गए। जिसके बाद ठग ने अपना नंबर बद कर दिया। पीड़ित ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत साइबर सेल में की थी। वह रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए लगातार साइबर थाना चक्कर लगा रहे थे, जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया है। एसीपी (क्राइम) प्रीतपाल ने बताया है कि इस तरह के मामलों में साइबर सेल पहले जांच करती है। उसके बाद केस दर्ज किया जाता है। पीड़ित की शिकायत पर जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कर दी गई है।

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