फ्लोरिस अस्पताल पर कार्रवाई होगी

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नोएडा, नगर संवाददाता: दादरी की फर्जी लैब में कोरोना वैक्सीन के अवैध ट्रायल में शुक्रवार को भारत सरकार की जांच टीम ने गाजिायाबाद स्थित फ्लोरिस अस्पताल में जाकर अस्पताल प्रबंधन के बयान दर्ज किए। प्रबंधन ने इसमें गलती मानी है। वैक्सीन अस्पताल से निकलकर कैसे दादरी स्थित लैब में पहुंच गई, इसकी जांच की जा रही है। वहीं, अस्पताल का कार्रवाई में कैडिला कंपनी से करार निरस्त कराया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

जिला औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन के टीम ने बयान दर्ज किए हैं। अस्पताल प्रबंधन की ओर से डॉ. मनोज ने माना है कि दादरी की लैब में वैक्सीन पहुंचना और क्लीनिकल ट्रायल के नाम पर 19 लोगों को वैक्सीन लगाना अस्पताल प्रबंधन की गलती है। बयान में माना गया है कि कंपनी के साथ हुए करार के विरूद्ध कार्य हुआ है।

वहीं अस्पताल का प्रशासनिक अधिकारी डॉ. महेश अवैध ट्रायल का मामला सामने आने के बाद से फरार है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि 19 लोगों की जिंदगी को खतरे में डालने पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अपराधिक षडयंत्र के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।

जिला औषधि निरीक्षक ने बताया कि लखनऊ के अलावा गाजियाबाद के फ्लोरिस अस्पताल और गौतमबुद्ध नगर का फेलिक्स अस्पताल को भारत सरकार की एथिक्स समिति की ओर से वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति थी। यह ट्रायल फरवरी में होना था। अनुमति प्राप्त अस्पतालों के अलावा और कही भी ट्रायल करना अवैध है। हालांकि फेलिक्स अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके अस्पताल को क्लीनिकल ट्रायल के लिए शार्ट लिस्ट किया गया था, लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया है।

टीकाकरण कराने वाले सभी 19 लोग स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में हैं। औषधि निरीक्षक ने बताया कि इसमें 12 लोग एक ही परिवार से हैं और पैथोलॉजी से हैं। दादरी सरकारी अस्पताल के निरीक्षक डॉ. संजीव सारस्वत ने कहा कि टीकाकरण कराने वाले सभी लोग ठीक हैं। यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत आती है तो तुरंत उनका इलाज कराया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि गुरुवार को दुजाना गांव में अवैध रूप से चल रहे दो क्लीनिक सील किए गए हैं। दोनों क्लीनिकों का स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण नहीं था। संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है।

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