नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के हिंसा के 24 वर्षीय आरोपी को अदालत ने पांच अलग-अलग मामलों में जमानत दी है। अदालत ने इस मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि इन मामलों के दो चश्मदीद गवाह पुलिसकर्मियों के बयान संदेहास्पद हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आरोपी युवक को पांच मामलों में जमानत दी जा रही है।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने आरोपी को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के जमानती के आधार पर जमानत दी है। इस आरोपी पर हिंसा के दौरान गोकुलपुरी इलाके में दुकानों में आगजनी व संपति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इन मामलों में अदालत ने पुलिसकर्मियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बेहद चैंकाने वाली बात है कि बीट कांस्टेबल आरोपी को पहचानते थे और वह देख रहे थे कि आरोपी लगातार दंगों में शामिल ह। बावजूद इसके वह आरोपी की पहचान करने में तब तक इंतजार करते रहे, जबतक उनके बयान दर्ज करने को नहीं कहा गया। अगर वह आरोपी को पहचान रहे थे तो उन्हें हिंसों के दौरान ही आरोपी को लेकर आला अधिकारियों को सूचित करना चाहिए था।
अदालत ने कहा कि तमाम तथ्य आरोपी की पहचान को लेकर संदेह उत्पन्न कर रहा है। अदालत ने कहा कि आरोपी को दंगों के 50 दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं मिली है। हालांकि अदालत ने आरोपी को हिदायत दी है कि वह पांचों मामलों के साक्ष्यों व गवाहों के साथ छेड़छाड़ न करें। साथ ही आरोपी अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करे, ताकि उसकी लोकेशन का पता चलता रहे।