अंबाला, जयबीर सिंह : हरियाणा हाईकोर्ट ने हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बनाई गई तीन और दस साल की रेगुलराईजेशन पॉलिसियों को रद्द कर करने का फैसला सुनाया है। इस पॉलिसियों के तहत अब रेगुलर हुए कर्मचारियों का रेगुलराइजेशन भी रद्द हो गया है और प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को इससे झटका लगा है। अब पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट ने छह महीने के भीतर रेगुलर भर्ती करने के आदेश दिये हैं वहीं कच्चे कर्मचारियों को उम्र में भी छूट देने का विकल्प दिया गया है। कानून विशेषज्ञ रेगुलराइजेशन की पॉलिसी को गैरकानूनी बता रहे थे वहीं सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बैंच द्वारा उमा देवी मामले में दिये फैसले के खिलाफ बता रहे हैं। इन पॉलिसियों को योगेश त्यागी व अंकुर छाबड़ा समेत 18 से ज्यादा लोगों ने अलग-अलग अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और आज इस पर हाईकोर्ट ने अपना सुरक्षित रखा हुआ फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद कर्मचारियों को काफी ज्यादा नुकसान होगा वहीं जो कर्मचारी पक्के हुए थे वो दोबारा से कच्चे हो जाएंगे। वहीं अब छह महीने के दौरान रेगुलर भर्ती करनी होगी।