जयललिता के इलाज में खर्च हुए थे 5.5 करोड़ रुपये, 75 दिन रहीं थी अस्पताल में

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नई दिल्ली/नगर संवाददाताः तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता के चेन्नई अस्पताल में हुए निधन के दो माह बाद तमिलनाडु सरकार ने निधन को लेकर फैल रही अफवाहों को शांत करने के लिए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और उनके निधन के बारे में सफाई दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में लंदन के चिकित्स रिचर्ड बेले तथा अपोलो अस्पताल के अन्य चिकित्सकों को शामिल किया गया। ये संवाददाता सम्मेलन एआईएडीएके की महासचिव वी. के. शशिकला के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने से पहले आयोजित किया गया। इस मौके पर उनका इलाज कर चुके ब्रिटिश चिकित्सक रिचर्ड बेले ने उनकी मौत से जुड़ी कई जानकारियां साझा कीं। जयललिता के निधन के पीछे किसी भी तरह की साजिश की बात खारिज करते हुए बेले ने कहा कि वो यहां का निवासी नहीं हैं। कोई साजिश नहीं हुई। उन्हें (जयललिता) गंभीर संक्रमण था। उनकी अच्छे से देखभाल की गई। बेले ने कहा कि जयललिता के खून में सेप्सिस जीवाणु पाए गए थे। उन्होंने कहा कि सेप्सिस से पीड़ित व्यक्ति कुछ घंटों या दिनों में बीमार हो जाता है। उन्होंने कहा कि जयललिता के निधन की वजह सेप्सिस और मधुमेह था। उन्होंने कहा कि यह अनपेक्षित था, क्योंकि पहले चरण में उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था। बेले ने कहा कि इलाज के लिए जयललिता को लंदन ले जाने पर भी चर्चा हुई, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि वह इसके लिए तैयार नहीं थीं और हर जरूरी चिकित्सा सुविधा उन्हें मुहैया कराई गई। उन्होंने कहा कि जयललिता के शव के अंत्यपरीक्षण की बात हास्यास्पद है। तमिलनाडु सरकार के एक चिकित्सक पी.बालाजी के मुताबिक जयललिता के इलाज पर कुल खर्च पांच से साढ़े पांच करोड़ रुपये के बीच आया। उन्होंने कहाकि उनसे कहा गया कि बिल जयललिता के परिजनों द्वारा भरा जाएगा। अपोलो अस्पताल में श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञ, बाबू के.अब्राहम के मुताबिक जयललिता को पांच दिसंबर शाम पांच बजे के आसपास दिल का दौरा (कार्डियक अरेस्ट) पड़ा था। उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने के तत्काल बाद उन्हें सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससाइटेशन) दिया गया। कुछ ही मिनटों में हृदय रोग विशेषज्ञ कमरे में आ गए। सीपीआर (प्रक्रिया) 20 मिनट तक चली, लेकिन उनके दिल में कोई हरकत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि दिल के दोबारा काम करने की उम्मीद से अगले 24 घंटों तक जयललिता को एक अन्य मशीन (ईसीएमओ) पर रखा गया, लेकिन उनके दिल ने फिर से धड़कना शुरू नहीं किया। चिकित्सक ने कहा कि 24 घंटे के बाद उस प्रक्रिया को बंद करने का फैसला किया गया और यह फैसला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) तथा अस्पताल के चिकित्सकों के परामर्श से लिया गया। इस बारे में जयललिता के परिजनों को भी सूचित कर दिया गया था। जयललिता के अंतिम क्षणों के बारे में पूछने पर अब्राहम ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री ने एक चिकित्सक से कहा था कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में जयललिता की सेहत में सुधार हो रहा था। वह कुछ कदम चल सकने में सक्षम थीं और बातचीत भी कर रही थीं। जयललिता के स्वास्थ्य के बारे में शशिकला तथा सरकारी अधिकारियों को प्रतिदिन जानकारी दी जाती थी। अब्राहम ने कहा कि जयललिता अस्पताल में 75 दिनों तक रहीं और 25 दिनों तक वह बेहोशी हालत में रहीं। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य के राज्यपाल चौधरी विद्यासागर राव ने अस्पताल में जयललिता से मुलाकात की थी? बालाजी ने कहा कि दूसरी बार अस्पताल आने पर राज्यपाल ने उनसे मुलाकात की थी। बालाजी ने कहा कि जयललिता ने उन्हें अंगूठा दिखाकर अपने ठीक होने का संकेत दिया था। बेले ने कहा कि उन्होंने शशिकला से भी बातचीत की थी। चिकित्सकों ने कहा कि जयललिता के शरीर के किसी भी हिस्से को अलग नहीं किया गया था। चिकित्सकों के मुताबिक, जयललिता के निधन के बाद उनके शरीर पर सामान्य प्रक्रिया के अनुसार लेप किया गया था। उल्लेखनीय है कि शशिकला को रविवार को एआईएडीएके के विधायक दल का नेता चुन लिया गया। जयललिता को छह दिसंबर को यहां अपोलो अस्पताल में मृत घोषित किया गया था। बुखार तथा शरीर में पानी की कमी की वजह से 22 सितंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जयललिता के निधन के बाद एक आधिकारिक बयान में चिकित्सकों ने कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।

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