नई दिल्ली, नगर संवाददाता : दी लीगल राइट आर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया के द्वारा एक वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका विषय था ‘न्याय प्रणाली में अधिवक्ताओं की सुरक्षा किस प्रकार संभव है’ सर्वप्रथम वेबीनार में रोहिणी कोर्ट में हुए शूट आउट की निंदा की गई। साथ ही यह कहां गया कि पुलिस को पहले से ही इनपुट होने पर भी इस तरह की घटना को अंजाम दिया जाना प्रशासन व पुलिस पर सवालिया निशान लगाता है इसमें प्रशासन व पुलिस पूरी तरह से फेल रही। एक कोर्ट परिसर में न्यायाधीश के सामने इस तरीके का गोलीकांड होना बहुत ही निंदनीय है। साथ ही बड़ा सवाल खड़ा होता है कि किस प्रकार एक अधिवक्ता सुरक्षित है।
इस संदर्भ में मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीके शर्मा ने कहा निश्चित ही यहाँ पर पुलिस प्रशाशन व् सुरक्षा एजेंसीयो के द्वारा बड़ी चूक हुई है। उसने कहा कि आमतौर पर वकीलों की तलाशी नहीं ली जाती है जिसका फायदा उठा कर घटना को अंजाम दिया गया उन्होंने कहा कि कोर्ट परिसर के अंतर्गत जब भी कोई प्रवेश करेगा तो उसको आईकार्ड दिखा कर अंदर प्रवेश दिया जायेगा। गाड़ियों को पार्किंग स्टिकर गाड़ी का पंजीयन प्रमाणपत्र को देख कर ही जारी किया जाये व् उस पर वाहन का ब्यौरा भी अंकित होना चाहिए उन्होंने वकील के स्टीकर जो बाजार में 10 या 15 रुपए में उपलब्ध है उनपर तत्काल प्रभाव से सरकार को रोक लगानी चाहिए। अधिवक्ता तथा टैक्सेशन बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता ने हाईकोर्ट की प्रणाली से अवगत कराया साथ ही ये भी कहा की हाई कोर्ट के अंदर अधिवक्ताओं को प्रवेश तब तक नहीं मिलता जब तक कि वह अपना आई कार्ड नहीं दिखा देते है व् सुरक्षा एजेंसीयो की संतुष्टि होने पर ही प्रवेश मिलता है इसके साथ ही उन्होंने मांग की है की सभी डिट्रिक्ट कोर्ट में भी दिल्ली उच्च न्यायालय की तर्ज पर जिला अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था की जाए तभी अधिवक्ता और सारे लोग सुरक्षित हो सकते हैं
न्याय प्रणाली में अधिवक्ताओं की सुरक्षा पर गोष्ठी आयोजित
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