दहेज उत्पीड़न मामले में गिरफ्तारी से पहले नोटिस जरूरी

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नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दहेज प्रताड़ना के एक मामले में पटियाला हाउस अदालत ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिए हैं कि आरोपी पति और अन्य की गिरफ्तारी से सात दिन पहले उन्हें नोटिस देना होगा। अदालत ने यह आदेश आरोपी पति द्वारा दाखिल की गई अग्रिम जमानत याचिका पर दिया है। अदालत ने कहा कि पारिवारिक विवाद के मामले में वैसे भी गिरफ्तारी स्थानीय पुलिस उपायुक्त से अनुमति लेने के बाद की जाती है। अगर उपायुक्त इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के निर्देश भी दें, तब भी आरोपी पक्ष को सात दिन का समय दिया जाए।

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार की अदालत ने मामले में दिल्ली पुलिस से आरोपी की याचिका पर जवाब मांगा था। आरोपी ने अपनी याचिका में कहा था कि पुलिस उसे और उसके परिवारवालों को गिरफ्तार कर सकती है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि यह पारिवारिक विवाद का मामला है, जिसे दहेज प्रताड़ना का रंग दिया जा रहा है। इस पर पुलिस ने अदालत में जवाब दायर करते हुए कहा कि उसने शिकायतकर्ता की शिकायत पर तफ्तीश के बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया है। जल्द ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली जाएगी। इस पर अदालत ने कहा कि जब भी पुलिस प्राथमिकी दर्ज करे और आरोपियों की गिरफ्तारी का निर्णय ले, उससे पहले उन्हें नोटिस के जरिए सूचित करे।

दरअसल, दहेज उत्पीड़्रन के मामले में गिरफ्तारी के लिए संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त से मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है। अगर अधिकारी को लगता है कि पीड़िता को शारीरिक या गहरी मानसिक चोट पहुंचाई गई है तो ऐसी स्थिति में आरोपी पक्ष की गिरफ्तारी के आदेश दिए जाते हैं। लेकिन, यदि अधिकारी को दस्तावेजों से ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी को बगैर गिरफ्तार किए भी आरोपपत्र तैयार किया जा सकता है तो उनकी गिरफ्तारी नहीं की जाती।

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