नई दिल्ली, नगर संवाददाता: हौजकाजी इलाके में पार्किंग को लेकर हुए विवाद में सोमवार देर रात पड़ोसी रिश्तेदारों ने मां के सामने बेटे की चाकू घोपकर हत्या कर दी। इस घटना में मृतक अंशू के दो भाई भी चाकू लगने से घायल हो गए हैं। पुलिस ने हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर आरोपी शख्स और उसके दो बेटों को गिरफ्तार किया है।
60 साल की गीता देवी परिवार के साथ गली रजिया बेगम स्थित मकान में रहती हैं। गीता देवी के पति शांति लाल की कुछ समय पहले मौत हो चुकी है। परिवार में बड़ा बेटा आशीष, मंझला विनय हैं, जबकि हमले में मारा गया अंशू सबसे छोटा था। पूरा परिवार गोलगप्पे के कारोबार से जुड़ा हुआ था।
बताया जाता है कि गीता देवी के घर के सामने ननद का भी परिवार रहता है। लेकिन दोनों घरों में तनाव रहता है। सोमवार रात को आशीष किसी की स्कूटी लेकर आया और गली में खड़ा कर दिया। संकरी गली होने से आने-जाने में दिक्कत हो रही थी। इस पर गीता देवी के ननद के पति खजांची बाबू और उनके दोनों बेटों मोहन और अंकित ने विरोध किया। जब आशीष ने कहा कि कुछ देर में स्कूटी हटा लेंगे तो पिता-पुत्र उस पर टूट पड़े।
आशीष ने हमला होने पर सहायता के लिए आवाज लगाई तो घर में मौजूद गीता, विनय और अंशू वहां पहुंचे। अंशू अपने भाई को छुड़ाने लगा तभी अंकित ने अंशू को पीछे से पकड़कर उसका गला दबा दिया। वहीं मोहन ने रसोई घर में रखे चाकू से उस पर ताबड़तोड़ वार कर दिया। अंशू पर वार होते देख विनय और आशीष ने रोकने की कोशिश की तो आरोपियों ने उन पर भी चाकू से हमला कर दिया। हमलावर तीनों भाइयों को घायल करने के बाद मौके से फरार हो गये। मौजूद लोगों ने सभी घायलों को एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने अंशू को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल से सूचना मिलने पर पहुंचे हौजकाजी थाने के इंस्पेक्टर रविंद्र और एसआई राजकुमार ने शव को कब्जे में ले लिया। साथ ही एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि देर रात को ही आरोपियों की तलाश में छापेमारी शुरू की गई। एसआई राजकुमार की टीम ने चांदनी चैक और इससे सटे इलाकों में छिपे हुए खजांची बाबू, मोहन और अंकित को गिरफ्तार कर हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद कर लिया। पुलिस ने मंगलवार को शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया।
गीता के दामाद पारस ने बताया कि दोनों परिवार गोलगप्पे के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इसलिए आपस में पहले से व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता व मनमुटाव था। खजांची बाबू का परिवार अंशू और उसके भाईयों पर ग्राहकों को भड़काने का आरोप लगाता रहता था।