गाजियाबाद, नगर संवाददाता: लाइसेंस निरस्त होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल बेचने के दोषी को सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांक सिंह की अदालत ने तीन साल कैद और 12 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। मामला आगरा का है। वर्ष 2006 में सीबीआइ व इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड की संयुक्त टीम ने आगरा स्थित पेट्रोल पंप पर छापेमारी की थी। मिलावटी तेल बेचते पाए जाने के चलते पेट्रोल पंप का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था।
सीबीआइ के लोक अभियोजक ने बताया कि आगरा में करणवीर का पेट्रोल पंप था। मनोज गोयल पेट्रोल पंप पर प्रबंधक थे। वर्ष 2006 में शिकायत मिली थी कि करणवीर के पेट्रोल पंप पर मिलावटी तेल बेचा जा रहा है। इस पर सितंबर 2006 में सीबीआइ व इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर पेट्रोल पंप का लाइसेंस निरस्त कर दिया था।
इसके बाद भी आरोपित अवैध तरीके से पेट्रोल और डीजल बेच रहा था। वर्ष 2007 में संयुक्त टीम ने फिर से योजनाबद्ध तरीके से एक शख्स को ग्राहक बनाकर भेजा। उक्त ग्राहक ने पेट्रोल भरवाने के साथ स्लिप भी ली। इससे अवैध तरीके से पेट्रोल-डीजल बेचे जाने की पुष्टि हुई। इसके बाद सीबीआइ ने करणवीर व मनोज गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में एफआइआर दर्ज की। मौके से पेट्रोल व डीजल के सैंपल भी लिए गए। जांच के दौरान सभी सैंपल मिलावटी पाए गए। वर्ष 2009 में सीबीआइ ने दोनों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। वर्ष 2011 में दोनों पर आरोप तय हुए। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कई गवाह पेश किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंगलवार को विशेष अदालत ने करणवीर को तीन साल कैद व 12 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। मनोज गोयल जमानत पर छूटा हुआ है। मंगलवार को वह पेश नहीं हुआ। इसीलिए उसकी फाइल अलग कर दी गई। अदालत ने मनोज गोयल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए हैं।