वन्यजीव एवं प्राकृतिक फोटोग्राफी पर कार्यशाला आयोजित की गई

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दरभंगा/बिहार, संतोष कुमार: बिहार के दरभंगा में पहलीबार फोटोग्राफी के क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से पहली बार कार्यशाला आयोजित। दरभंगा में पहलीबार फोटोग्राफी के क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय के गांधी सदन सभागार में एक दिवसीय फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व प्रसिद्ध गोवा के आशय मांडेरकर ने दरभंगा के फोटोग्राफरों को पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से फोटोग्राफी के महत्व को बताते हुए वन्यजीव एवं प्राकृतिक तसवीरों की विभिन्न दृष्टिकोण पर चर्चा की। चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी ऐसी होनी चाहिए कि उसमें आपको पूरी कहानी समझ और दिखनी भी चाहिये। उन्होंने अपने द्वारा विदेशों में ली गई वन्यजीवों की तस्वीरों को दिखाते हुए कहा कि बेहतर फोटॉग्राफी के लिए समय का निर्धारण अति महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में उन्होंने विलुप्त बाघो की घटती प्रजाति की भी चर्चा की तथा स्पष्ट किया कि जिस प्रकार इंसानो के हाथों की लकीर (फिंगरप्रिंटं) अलग-अलग होती है उसी प्रकार बाघों खालों पर बनी लकीरें भी अलग-अलग होती है इससे हमें बाघों की कुल जनसँख्याओं का पता चलता है इस दौरान उन्होंने फोटॉग्राफी के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने किया साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यशालाओं को कोर्स-वर्क का रूप देना चाहिए, जिससे छात्र.एवं छात्राओं को फोटॉग्राफी के तकनीकों की जानकारी उनके शैक्षणिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने से उनका शिक्षण रुचिकर होगा। मुझे भी इस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने का अवशर मिला, मैं कार्यक्रम के आयोजकों को इस प्रकार के आयोजनों के लिए आभार व्यक्त करता हूँ। इस मौके पर दूरस्थ शिक्षा के उपनिदेशक डॉ शंभु प्रसाद ने कहा कि ऐसे कार्यशालाओं का होना सही रूप में दिशा प्रदर्शित करता है। फोटोग्राफी इतने सारे मत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत करता है जिसका मैं आजतक परिकल्पना नहीं किए थे जिससे आज अवगत हुए। दूरस्थ शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ अखिलेश कुमार मिश्र ने कहा कि प्रकृति के रक्षार्थ ऐसे कार्यशालाओं का होते रहना अति आवश्यक है। कार्यक्रम के आरंभ में आशय मांड्रेकर को मिथिला के प्रख्यात एवं पहले फोटोग्राफर स्व० आनंद बिहारी प्रसाद वर्मा के प्रपौत्र राज कश्यप ने पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया वहीं कुलसचिव महोदय को महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय के तकनीकी सहायक चंद्रप्रकाश ने, उप निदेशक को फ़वाद ग़ज़ाली, सहायक निदेशक को संतोष कुमार ने सम्मानित किया। इस अवशर पुरातत्वविद श्री मुरारी कुमार झा ने श्री मांड्रेकर को विश्वविद्यालय स्थित म. का. सिं. सा. विज्ञान सोध संस्थान, श्यामा माई मंदिर परिसर, मोतीमहल, राजकीला, चौरंगी सहित दरभंगा के स्थानीय पुरातत्व से परिचय कराया। कार्यशाला में दरभंगा के प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कई फोटोग्राफरों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत मे सभी सहभागियों द्वारा मिथिला का प्रतीक चिन्ह मछली स्तंभ श्री मांडेरकर को देकर समानित किया गया साथ ही प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिया गया। कार्यक्रम के समन्वयक संतोष कुमार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी होते रहेंगे जिनसे यहाँ के लोगों को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।

वन्यजीव एवं प्राकृतिक फोटोग्राफी

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