उत्तर प्रदेश/नगर संवाददाता : अयोध्या में रामजन्म भूमि विवाद को लेकर एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो दूसरी ओर वहां
भव्य राम मंदिर बनाने को लेकर मुहिम भी तेज होती जा रही रही है। उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री और भाजपा नेता पंडित सुनील भराला का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक फैसला लेंगे और अयोध्या में रातोरात भगवान राम का भव्य मंदिर बन जाएगा।
सुनील भराला का कहना है कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म किया, एयर स्ट्राइक किया, जीएसटी को लागू किया वैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कि एक निर्णायक व्यक्ति हैं और वह जल्द ही राम मंदिर बनाने का फैसला करेंगे। इसके साथही उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने की भी इच्छा जताते हुए कहा कि उनके साथ सभी राम मंदिर निर्माण में कारसेवा करना चाहते हैं।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस बार लगातार दूसरी बार रामनवमी और दीपावली का त्यौहार भव्य रूप से मनाने की तैयारी की जा रही है। पिछली बार अयोध्या में रामनवमी और दीपोत्सव पर योगी सरकार ने ऐतिहासिक आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हुए थे।
इसके साथ ही योगी सरकार ने अयोध्या में भगवान राम की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित की है। इस बार भी रामनवमी पर अयोध्या आने वाले राम भक्तों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाने की तैयारी में प्रबंधन जुटा हुआ है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार सार्वजनिक तौर पर कह चुके है अयोध्या में जल्द ही भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण होगा। इसको लेकर वह साधु संतों से कई बार मंदिर के भव्य स्वरूप को लेकर चर्चा भी कर चुके हैं।
इससे पहले देश के साधु.संतों के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी वेबदुनिया के साथ खास बातचीत में कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा और इसलिए देश के सभी साधु.संत आज भाजपा के साथ खड़े हैं।
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट मेंं इस वक्त दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई हो रही है। कोर्ट में अब तक राम मंदिर बनाने के पक्षकार निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के वकीलों ने ऐतिहासिक और पौराणिक साक्ष्यों के आधार पर वहां पर राम मंदिर होने के पक्ष में दलीलें रखी हैं। इसके साथ ही वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदू धर्म की मान्यताओं और परंपराओं का भी हवाला दिया है।