सिंगापुर में भारतीयों के साथ भेदभाव

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सिंगापुर। सिंगापुर में भारतीयों के लिए किराये का मकान खोजना टेढ़ी खीर है। यहां के ऑन लाइन विज्ञापनों में साफ लिखा है कि भारतीय और चीन के लोग मकान के लिए संपर्क न करें। किसी-किसी विज्ञापन में सॉरी भी लिख दिया जाता है।

एक भारतीय प्रवासी के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि उसके एजेंट ने उससे कहा कि कई मकान मालिक उन्हें किराये पर मकान देने से मना कर रहे हैं क्योंकि भारतीय हमेशा ही गंध करने वाली करी पकाते हैं।

एक एस्टेट एजेंट ने इसी तरह की बात बताते हुए कहा कि मकान मालिक भारतीय और चीनी किरायेदारों को किराये पर मकान देने को कम इच्छुक हैं क्योंकि उनका मानना है कि ये लोग उनके घर को ठीक से नहीं रखेंगे।

आठ वर्ष ब्रिटेन में बिताने के बाद श्रीलंकाई नागरिक सुनील जब अपनी नई नौकरी के लिए सिंगापुर गए तो किराये का मकान खोजने में उनके पसीने छूट गए। पेशे से इंजीनियर सुनील ने बताया कि ब्रिटिश जबान में उनकी धाराप्रवाह अंग्रेजी से पहले तो मकान मालिक प्रभावित हो जाते थे लेकिन सुनील नाम सुनते ही उन्हें टका सा जवाब मिल जाता कि क्षमा करें हम भारतीयों को मकान नहीं देते।

सुनील ने आपबीती सुनाते हुए मकान मालिकों को लाख समझाने की कोशिश की कि श्रीलंका और भारत दो अलग देश हैं लेकिन वे न माने। आखिरकार सुनील ने फैसला किया के वह सिर्फ भारतीय मकानमालिकों से ही संपर्क करेंगे तब जाकर उन्हें मकान मिल सका।

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