गुवाहाटी/असम, रोहित जैनः झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। जैन धर्म का अनादि निधन, सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है। ऐसे पवित्र पावन तीर्थ पर भारत सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने की अधिसूचना के बाद कुछ समय से लगातार अप्रिय घटनाओं के होने से श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र की सुरक्षा व पवित्रता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है। जब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था तब तत्कालीन बिहार सरकार ने इसे वन्य जीवन अभ्यारण आधिकारिक गजट दिनांक 21 अगस्त 1983 से घोषित कर दिया, जिस तीर्थ क्षेत्र को पवित्र अहिंसक शाकाहार क्षेत्र घोषित करना चाहिए था, उसी गजट को आधार बनाकर 2 अगस्त 2019 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे इको सेंसेटिव जोन की परिधि में ला दिया। इससे पूर्व 2016 में भी इस सम्मेद शिखरजी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था।
जैनों के इस सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र को इन तीन गज़ट की आधिकारिक सूचनाएं, इस तीर्थ की पावनता, पवित्रता व सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है। गुजरात में स्थित ‘पालीताणा’, देश का सबसे पहला शाकाहार क्षेत्र घोषित किया गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या, काशी, मथुरा क्षेत्र पवित्र को तीर्थ घोषित किया गया। जैन समाज लगातार, अहिंसा -शाकाहार का पूरे विश्व में उद्घोष करने वाले श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्रतम जैन तीर्थ क्षेत्र रूप से घोषित किया जाए तथा इसे पर्यटन स्थल बनने से रोका जाए।
झारखण्ड स्थित शाश्वत तीर्थ क्षेत्र शिकरजी को झारखण्ड सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के प्रस्ताव को लेकर जैन समाज में रोस है एवं जैन समाज नाराज है।
पिछले दिनों झारखण्ड सरकार द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन को लेकर सम्पूर्ण भारत में आक्रोश फुटकर सड़क पर आने लगा है। जगह जगह प्रदर्शन रैलियां ,ज्ञापन सौंपे जा रहे है।
इसी संधर्व में गुवाहाटी दिगम्बर जैन समाज द्वारा 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर जी (झारखंड) की पावन भूमि को केन्द्र सरकार द्वारा पर्यटन घोषित किये जाने के प्रतिवाद में एवं शाश्वत तीर्थराज की पवित्रता बचाने हेतु प्रातः 8ः30 बजे एमएस रोड स्थित भगवान महावीर धर्मस्थल से विशाल मौन रैली निकाली। जैन समाज के लोगों ने अपने मौन रैली में सरकार को सन्देश देना चाहती है की सरकार ने जो हमारे पवित्र तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल क्षेत्र घोषित किया है वह जैन धर्माबलबियों को मंजूर नहीं।
झारखण्ड स्थित सम्मेद शिकरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से जैन समाज में रोष
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