नई दिल्ली, नगर संवाददाता। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया’ क्रियान्वयन किसी को भी बाहर छोड़ने (एक्सक्लूजनरी) की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आम आदमी के फायदे के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग से जुड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी से शासन को चोरी में शामिल लोगों से निपटने की ताकत भी मिलती है।
वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए लेखी ने उन आंकड़ों का उल्लेख भी किया, जहां सरकार को प्रौद्योगिकी के माध्यम से बड़ी संख्या में फर्जी खातों का ‘पर्दाफाश’ करने में मदद मिली। इनमें ऐसे लोग शामिल थे, जो पात्र नहीं होने के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे।
विदेश राज्य मंत्री लेखी ने कहा कि डिजिटल इंडिया का क्रियान्वयन किसी को भी बाहर छोड़ने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आम आदमी के फायदे के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि यह ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जिसके लिये आपको प्रौद्योगिकी को समझने के लिये तकनीक का जानकार होना जरूरी हो, बल्कि यह आम लोगों के फायदे के लिये तकनीक के उपयोग से जुड़ी है।
लेखी ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी सुशासन को पोषित करता है और यह वंचित लोगों तक पहुंच सुनिश्चित करता है, साथ ही चोरी में शामिल लोगों से निपटने की ताकत भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिये ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘अंत्योदय’ लोगों की सेवा करने के दो महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं, जो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिये भी हैं।