जींद, हरियाणा, नगर संवाददाता: आशा वर्कर्स यूनियन ने बुधवार को कोविड-19 के कार्यों का बहिष्कार करते हुए बुधवार को मांगों को लेकर ज्ञापन जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. नवनीत को सौंपा। जिला प्रधान नीलम व जिला सचिव राजबाला ने कहा कि कोरोना महामारी से लडने में आशा वर्करों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
कोरोना के सर्वे करने, संक्रमितों की पहचान करने, उन्हें आइसोलेट करने, उनकी घरों तक दवाई पहुंचाने आदि के अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य आशा वर्करों ने किए हैं तथा कोविड-19 वैक्सिनेशन में भी आशा वर्करों की अग्रणीय भूमिका रही है जो अभी तक जारी है।
आशा वर्करों ने न केवल लोगों को सेंटरों तक लाने का काम किया है बल्कि वेक्सीनेशन कैम्पों में एएनएम के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम किया है। इसके साथ-साथ ऑनलाइन डाटा एंट्री आदि के काम भी आशाओं ने बखूबी किए हैं। प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के काम का इन्सेंटिव सितंबर महीने तक के लिए दिया था लेकिन इसके बाद आशा वर्करों को मिलने वाला इन्सेंटिव बंद कर दिया। इसलिए प्रदेशभर की आशा वर्करों ने इन्सेंटिव ना मिलने के कारण कोविड-19 का काम बंद कर दिया। जब तक सरकार आशा वर्करों का इन्सेंटिव दोबारा से शुरू नहीं करती कोविड-19 का काम बंद रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर आगामी छह दिसंबर को अंबाला में स्वास्थ्य मंत्री अनिज विज की कोठी का घेराव करेंगी क्योंकि प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य मंत्री लगातार आशा वर्करों की मांगों की अनदेखी कर रहे हैं। वर्ष 2018 में हुए मुख्यमंत्री के साथ हुए समझौते को आज तक लागू नहीं किया। कोविड-19 की अतिरिक्त गतिविधियों में आशा वर्करों को 1000 रुपये प्रोत्साहन दिया जा रहा था जिसको सरकार ने सितम्बर 2021 के बाद बंद कर दिया। आशा वर्करों ने मांग की कि कोविड-19 की प्रोत्साहन राशि को आगे बढ़ाया जाए। 50 प्रतिशत राशि की फाइल मुख्यमंत्री के पास पिछले एक साल से विचाराधीन है, उसको पारित किया जाए।