नई दिल्ली, नगर संवाददाता: इंडियन वूमंस प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने त्रिपुरा में एक पत्रकार और अन्य पर कथित तौर पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किये जाने को लेकर सोमवार को राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि यह मीडिया को डराने व खामोश करने की कोशिश है। साथ ही, मामला फौरन वापस लिये जाने की भी मांग की।
त्रिपुरा पुलिस ने शनिवार को 102 सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खिलाफ यूएपीए, आपराधिक साजिश रचने और फर्जीवाड़ा करने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था। इसके अलावा, ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनके अकाउंट को बंद करने तथा उन लोगों की सभी सामग्री से अवगत कराने को कहा था।
उल्लेखनीय है कि इससे ठीक पहले त्रिपुरा पुलिस ने उच्चतम न्यायालय के चार वकीलों के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया था। यह मामला , राज्य में मुसलमानों को निशाना बना कर हुई हालिया हिंसा पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामाजिक वैमनस्य को कथित तौर पर बढ़ावा देने को लेकर दर्ज किया गया था।
आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि पत्रकार श्याम मीरा सिंह के साथ अन्य पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने की त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई से वह स्तब्ध है।
पत्रकार संगठन ने कहा, ‘‘सिंह ने कहा है कि ‘त्रिपुरा जल रहा है’, ट्वीट करने को लेकर उन पर मामला दर्ज किया गया। घटनाओं के बारे में सूचना देना और उसकी सही तस्वीर प्रस्तुत करना एक पत्रकार का कर्तव्य है। सत्ता में बैठे लोगों को खुश करना पत्रकार का काम नहीं है। ‘‘
आईडब्ल्यूपीसी ने सिंह के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यूएपीए लगाना कानून का दुरूपयोग करते हुए पत्रकारों को डरा कर उन्हें खामोश करने की एक स्पष्ट कोशिश है।
पत्रकार संगठन ने कहा, ‘‘आईडब्ल्यूपीसी यह मांग करती है कि इस तरह के सभी मामले फौरन वापस लिये जाएं और मीडिया को स्वतंत्र रूप से अपना काम करने दिया जाए।’’