नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय वायुसेना और भारतीय रेलवे में कथित तौर पर रोजगार के लिए फर्जी भर्ती रैकेट चलाने वाले वायुसेना के एक कर्मचारी को जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि मामले में सभी कथित लेनदेन बिना किसी रसीद के नकदी के रूप में हुए थे, जो सुनवाई का विषय है और इस स्तर पर इस पर विचार नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता आरोपी के पास से बरामद करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, जो जनवरी से न्यायिक हिरासत में है। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ किये जाने और न्याय से भागने की अभियोजन पक्ष की दलील ‘‘केवल एक आशंका’’ है।
अदालत ने कहा कि मामले के सह-आरोपी पहले से ही जमानत पर है।
अदालत ने 29 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। अभियोजन पक्ष ने ऐसी कोई रसीद नहीं दिखाई है जिससे साबित हो कि याचिकाकर्ता ने कई इच्छुक उम्मीदवारों से 2.7 करोड़ रुपये का कथित लेनदेन किया गया था। बल्कि स्थिति रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सभी लेनदेन बिना किसी रसीद के नकद के रूप में किये गए थे, जो कि सुनवाई का विषय है और इस स्तर पर इस पर विचार नहीं दिया जा सकता है।’’
पीठ ने कहा, “स्थिति रिपोर्ट के अनुसार जांच के दौरान याचिकाकर्ता के तीन मोबाइल डिवाइस पहले ही जब्त कर लिये गए हैं। मुकदमे में लंबा समय लगेगा। इसी तरह के आरोपों में सह-आरोपी पहले ही जमानत पर रिहा हो चुका है।’’
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर जमानत देने का आदेश सुनाया।
आरोप है कि याचिकाकर्ता ने भारतीय वायुसेना और भारतीय रेलवे में नौकरियां दिलाने के नाम पर कई लोगों से 2.7 रुपये की ठगी की और जाली कॉल लेटर और नियुक्ति पत्र जारी किए