नई दिल्ली, नगर संवाददाता: अनुसंधानकर्ताओं ने एक ‘आर्गेनिक फील्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टर्स’ (ओएफईटी) विकसित किया है जिसका उपयोग कीटनाशकों, खरपतवार नाशकों और मिट्टी व जल में भारी धातु के स्तर की माप करने के लिए कम लागत वाले बायोसेंसर में किया जा सकता है और इसकी मदद से, पौधों में होने वाले रोगों का भी शुरूआत में ही पता लगाया जा सकता है।
दिल्ली-एनसीआर में स्थित शिव नाडर यूनिवर्सिटी के अनुसंधान दल ने कहा कि उनका ओएफईटी सेमीकंडक्टर उपकरण जैव अनुकूल प्रौद्योगिकी में निर्णायक भूमिका निभा सकता है और यह वहनीय कृषि के लिए काफी फायदेमंद होगा।
फील्ड-इफैक्ट ट्रांजिस्टर सभी आधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए मूलभूत आवश्यक सामग्री हैं। इनमें उपकरण के संचालन के लिए आर्गेनिक सेमीकंक्टर का उपयोग किया जाता है।
यह अध्ययन जर्नल ‘एसीएस अप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मेटेरियल्स’ में प्रकाशित हुआ है, जो किसी भी आर्गेनिक सेमीकंडक्टर पतली फिल्म के लिए 20 यूनिट तक ‘हाई चार्ज कैरियर मोबिलिटी’ की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।
अध्ययन दल के प्रमुख एवं शिव नाडर यूनिवर्सिटी में सहायक प्राध्यापक समरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया ‘‘हम इसे महत्वपूर्ण सफलता मानते हैं क्योंकि स्वदेश में विकसित यह प्रौद्योगिकी बहु-प्रतीक्षित बायोसेंसर प्रौद्योगिकी मुहैया कराएगी।’’
यह उपलब्धि जैव अनुकूल नमक के उपयोग के जरिए मिली है, जो इन उपकरणों को और भी कम लागत वाला बना सकता है।
विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक सजल कुमार घोष और पीएचडी के छात्र योगेश यादव ने कहा कि बायोसेंसर का प्रारूप विकसित किये जाने के बाद इस पर आने वाली अनुमानित लागत का आकलन किया जाएगा।