नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू यू ललित ने रविवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं से गरीबों और समाज में हाशिए पर चले गए वर्गों के लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराने की अपील की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें न्याय तक गुणवत्तापूर्ण पहुंच मिले।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित ने कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा कलबुर्गी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही। इस कार्यक्रम का विषय ‘सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिकारों के महत्व- 2020’ था।
न्यायमूर्ति ललित ने कहा, ‘‘केवल पैनल के वकीलों को प्रशिक्षण देना पर्याप्त नहीं होगा। समस्या का समाधान यह है कि कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कानूनी सहायता को पसंद के रूप में लेना होगा और निःशुल्क मामलों में पेश होते रहना चाहिए ताकि विधिक सहायता मांगने आए व्यक्ति को यह आश्वासन दिलाया जा सके कि उसे बिना किसी गड़बड़ी के गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी।’’
गरीबों और वंचित तबके के लोगों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों को कानूनी सहायता प्रदान करने का मतलब यह नहीं है कि वह खराब स्तर की हो, इसे बेहतर गुणवत्ता और मानक का होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा , ‘‘महिलाओं को इस हद तक सशक्त किया जाना चाहिए कि वह हम सभी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें।’’
न्यायमूर्ति ललित ने राज्य में कानूनी साक्षरता फैलाने के लिए ऑफ-कैंपस कानूनी सेवा क्लीनिक की स्थापना और एक ग्राफिक उपन्यास के विमोचन के संबंध में कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना की।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) और कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (केएसएलएसए) आम नागरिकों के बीच कानूनी जागरूकता पैदा करके उनके लिए आसानी से न्याय उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।