महाराष्ट्र के थर्मल पावर प्लांट की 13 यूनिट बंद, लेकिन प्रदेश में बिजली का कोई संकट नहीं

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महाराष्ट्र, नगर संवाददाता : कोयले के संकट की वजह से महाराष्ट्र के सात थर्मल पावर प्लांट की 13 यूनिट ठप पड़ गई हैं। स्टेट पावर यूटिलिटी फर्म एमएसईडीसीएल को बिजली की आपूर्ति करने वाले 7 पावर प्लांट की 13 यूनिट में कोयले के संकट की वजह से बिजली बनना बंद हो गया है। एमएसईडीसीएल के एमडी विजय सिंघल ने कहा है कि राज्य सरकार ने नेशनल एक्सचेंज से पावर खरीदने की तैयारी कर ली है।इसके साथ ही हाइड्रो पावर सोर्स से भी बिजली खरीदने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में अगले 15 दिन तक बिजली की कोई दिक्कत होने की आशंका नहीं है।
समझदारी से करें बिजली का उपयोग
इसके साथ ही सिंघल ने बिजली का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों से अपील की है कि वे सुबह 6ः00 बजे से 10ः00 बजे तक और शाम को 6ः00 बजे से 10ः00 बजे तक बिजली बचत के उपाय पर गौर करें। इससे राज्य में बिजली की मांग और आपूर्ति में संतुलन बिठाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘लोग अगर बिजली का समझदारी से इस्तेमाल करें तो इस समय रोजाना पीक डिमांड 18,000 मेगावाट है जिसे घटाने में मदद मिल सकती है।’
महाराष्ट्र में बिजली उत्पादन
प्रदेश में 17000 मेगा वाट थर्मल पावर के अलावा हाइड्रो पावर और अन्य स्रोत से रोजाना की मांग पूरी करने में मदद मिल रही है। इस समय थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन घटकर 14000 मेगा वाट रह गया है। कोयले की किल्लत एक देशव्यापी मसला बन चुका है। सिंघल ने कहा, ‘हम महाराष्ट्र में कोयले के संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं कि हमें लोड शैडिंग ना करनी पड़े।’
20 रुपये यूनिट खरीदी जा रही है बिजली
महाराष्ट्र में थर्मल पावर प्लांट से 14000 मेगावाट बिजली बनाई जाती है और बिजली की कमी से निबटने के लिए पावर एक्सचेंज से ₹20 प्रति यूनिट बिजली खरीदने की कोशिश की जा रही है। एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले एक पखवाड़े में बिजली की स्थिति सुधरने की उम्मीद है। अगर ऐसा नहीं होता है तो एमएसईडीसीएल को बिजली की आपूर्ति इंडस्ट्रियल, अर्बन और ग्रामीण इलाके के हिसाब से करनी पड़ेगी। यह बिजली वितरण का स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है। पिछले कई दिन से देशभर में बिजली के प्रोडक्शन में कमी आ रही है, इसकी वजह कोयले की आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं हैं। राज्य में कोयले के संकट की वजह से 3330 मेगावाट बिजली कम बन रही है।