पिछडी जाति के फर्जी प्रमाण बनवाकर आरक्षित पद पर निर्वाचित हुई आभा गुप्ता

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कुशीनगर, उत्तर प्रदेश, नगर संवाददाता : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पिछडी जाति के फर्जी प्रमाण बनवाकर आरक्षित पद पर निर्वाचित हुई जनपद के कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा विकास के नाम पर करोड़ों रुपये के धन का बंदरबांट किए जाने की चर्चा जोरो पर है। चर्चा.ए.सरेआम है कि अपने भ्रष्टाचार की कलई खुलने के डर से अध्यक्ष ने कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक सरिता भारती को निलंबित कर दिया है। मजे की बात यह है कि अध्यक्ष आभा गुप्ता की फर्जी जाति प्रमाणपत्र पाये जाने पर जिलाधिकारी गोरखपुर ने इनकी जाति प्रमाणपत्र को पहले ही निरस्त कर दिया है। इसके बावजूद आज भी वह अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान है। ऐसे मे सवाल उठना मुनासिब है कि योगी सरकार मे फर्जी प्रमाणपत्र पर आरक्षण का लाभ लेकर निर्वाचित हुए अध्यक्ष का प्रमाण पत्र निरस्त होने के बावजूद अब तक कार्रवाई क्यो नही हुई, वह अध्यक्ष की कुर्सी पर अब तक विराजमान है!

काबिलेगोर है कि अध्यक्ष आभा गुप्ता के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद से ही उनके जाति को लेकर सवाल उठने लगे थे। चर्चाओं के बाजार मे इस बात की चर्चा जोरो पर रही कि आभा गुप्ता सवर्ण श्रेणी में आने वाली अग्रहरि बिरादरी से ताल्लूक रखती हैंए जबकि कप्तानगंज टाऊन एरिया पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित था। चेयरमैन आभा गुप्ता के निकटतम प्रतिद्वंदी रहे नासिर ने उस समय तमाम साक्ष्यों के साथ इसकी शिकायत कुशीनगर व गोरखपुर के जिलाधिकारी के साथ.साथ चुनाव आयोग से भी की थी।

शिकायत को गंभीरता से लेते तत्कालीन जिलाधिकारी रहे आन्द्रा वामसी ने पूरे प्रकरण को उस समय कप्तानगंज के एसडीएम त्रिभुवन कुमार के अगुवाई मे गठित स्क्रूटनी कमेटी से प्रकरण की जांच करायी करायी थी। स्क्रूटनी कमेटी ने सभी बिन्दुओ पर बारिकी से जांच करने के 18 सितम्बर .2018 को आभा गुप्ता के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था। कहना न होगा कि कप्तानगंज टाऊन एरिया की सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित थी और आभा गुप्ता निषाद पार्टी के बैनर तले चुनाव लडकर 3724 मत पाकर विजयी हुई थी! जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे निर्दलीय प्रत्याशी नासिर को 2839 मत मिले थे। इसके बाद नासिर ने आभा गुप्ता के मायके के कुटुम्ब रजिस्टर की नकल सहित कई दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया किए नवनिर्वाचित अध्यक्ष आभा गुप्ता के मायके के कुटूम्ब रजिस्टर सहित कई अभिलेखों में साफतौर पर उनकी जाति अग्रहरि लिखा हुआ है। सरकार की सूची मे अग्रहरि बिरादरी सवर्ण जाति के रूप में अंकित है। आभा गुप्ता पर यह भी आरोप है कि वह कुठरचित व गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनवा कर चुनाव लड़ी थी। नासिर ने साक्ष्यों के साथ अपना प्रार्थना पत्र तत्कालीन जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी सहित चुनाव आयोग को सौंपकर जांच की मांग की थी। इसको गम्भीरता से लेते हुए तत्कालीन डीएम ने कप्तानगंज के एसडीएम रहे त्रिभुवन कुमार से जांच कराया था जिसमे दोष सिद्ध होने के बाद उनका प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया था।

जनपदीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति द्वारा 18 सितम्बर.2018 को आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के बाद आभा गुप्ता 20 सितम्बर.2018 को मण्डलीय अपीलीय फोरम गोरखपुर की शरण मे गयी। यहाँ दोनो पक्षों को सुनने व सभी साक्ष्यों को गंभीरता से अवलोकन करने के बाद अपीलार्थिनी आभा गुप्ता को अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का तीन बार अवसर दिया गया। इसके बाद भी आभा गुप्ता ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही कर पायी जिससे यह साबित हो सके कि वह कांदू बिरादरी से ताल्लुक रखती है। लिहाजा सभी बिन्दूओं पर गहन अध्ययन व विपक्षी नासिर द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यो के आधार पर मण्डलीय फोरम ने 26 सितम्बर.2019 को जनपदीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति के आदेश यजिसमे दिनांक 18 सितम्बर.2018 को आभा गुप्ता की जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया हैद्ध को परिपुष्ट करते हुए अपीलार्थिनी आभा गुप्ता की अपील निरस्त कर दिया।

काबिलेगोर है कि अपीलार्थिनी आभा गुप्ता द्वारा अपने पूर्वजों के संबंध मे मण्डलीय अपीलीय फोरम मे प्रस्तुत किये गये साक्ष्यो की जांच एडीएम गोरखपुर वित्त एंव राजस्व से करायी गयी जिसमे पाया गया कि राजस्व अभिलेखो में छेड़छाड़ व कूटरचना कर एक खतौनी मे कांदू बढाया गया है जबकि दूसरे खतौनी मे कांदू जाति का कही भी उल्लेख नही है। इसके अलावा आभा गुप्ता के पिता प्रेमचंद्र गुप्ता की सर्विस बुक पूरी तरह सिद्ध करती है कि वह अग्रहरी वैश्य जाति के है तथा उनके पिता और भाइयो द्वारा पिछडी जाति के अन्तर्गत कोई लाभ नही लिया गया है और न ही पिछडी जाति का कोई प्रमाण पत्र इनके परिवार के सदस्यों को निर्गत किया गया है। लिहाजा फोरम के समक्ष प्रस्तुत सभी तथ्योंए साक्ष्यों एंव विभिन स्तरों से प्राप्त आख्याओ के आलोक मे मण्डलीय फोरम इस निष्कर्ष पर पहुते हुए निर्णय ली कि अपीलार्थिनी आभा गुप्ता पिछडी जाति के श्रेणी मे नही आती है। इन्होने तथ्यों को छिपाकर गलत शपथ पत्र प्रस्तुत कर गोरखपुर जनपद के सदर तहसील से पिछडी जाति का प्रमाण पत्र हासिल किया है जो निरस्त करने योग्य है। इस खबर के संबंध मे कप्तानगंज के नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया! किन्तु उनसे बात नही हो पायी। वह खबर से संबंधित अपना पक्ष देती है तो उनका भी पक्ष खबर मे प्रमुखता के आधार पर जोड दिया जायेगा।