नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा प्रदूषण के खिलाफ किए गए सराहनीय कार्यों की वजह से दिल्ली में 15 प्रतिशत कम प्रदूषण हुआ है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट बता रही है कि दिल्ली में 15 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है, जबकि पहले दिल्ली दूसरे या तीसरे स्थान पर होती थी। वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टाॅप-10 की सूची में शामिल 9 शहरों में से अधिकतर उत्तर प्रदेश के शहर हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रदूषण के मसले पर गंभीर नहीं है। दिल्ली सरकार के बार-बार अनुरोध के बाद भी एनसीआर में चल रहे प्रदूषण पैदा करने वाले पावर प्लांट्स और ईंट भट्ठों को बंद नहीं किया गया। प्रदूषण के मसले पर संयुक्त प्रयास की जरूरत है। केंद्र सरकार को बंद हो चुके एयर क्वालिटी कमीशन को पुनः सक्रीय करना चाहिए, ताकि वह प्रदूषण पैदा करने वालों पर कार्रवाई कर सके।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ल्ड एयर क्वालिटी की जो रिपोर्ट आई है, उसमें दो तथ्य सामने आए हैं। एक यह कि भारत के अंदर टाॅप-10 की सूची में जिन शहरों का नाम हैं, उनमें से 9 शहर वे हैं, जिसमें से अधिकतर उत्तर प्रदेश के हैं। दिल्ली पहले ज्यादा प्रदूषित थी। पिछले दिनों दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काफी सराहनीय कार्य किया है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट ही बता रही है कि मौजूदा समय में दिल्ली के अंदर 15 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है। पहले दिल्ली प्रदूषण के मामले में दूसरे या तीसरे स्थान पर होती थी, आज दिल्ली की स्थिति उससे काफी बेहतर हुई है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण कम होने के पीछे कारण हैं, क्योंकि दिल्ली के अंदर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार काम कर रही है। दिल्ली अंदर ग्रीन बेल्ट बढ़ाने के लिए हम लोग लगातार जोर दे रहे हैं। दिल्ली के अंदर प्रदूषित ईंधन पर जो भी उद्योग चल रहे हैं, हमने ऐसे उद्योगों को शून्य कर दिया है। उन सभी उद्योगों का ईंधन बदल दिया गया है। हम लोग दिल्ली के अंदर ट्री ट्रांसप्लांटेशन पाॅलिसी लेकर आए, दिल्ली के अंदर ईलेक्ट्रिक व्हीकल्स पाॅलिसी लेकर आए, दिल्ली के अंदर धूल के प्रदूषण को कम करने के लिए एंटी स्माॅग गन लगाने की पाॅलिसी लाए।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण कम करने का काम और तेज किया है। इसके लिए हमने वाॅर रूम बनाया है। यह वाॅर रूम 24 घंटे काम कर रहा है। इसके साथ ही हमने ग्रीन एप लांच किया है, जिससे प्रतिदिन प्रदूषण पर निगरानी की जा रही है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण के साथ-साथ हम धूल के प्रदूषण को कम करने पर भी काम कर रहे हैं। हम लोगों ने पिछले दिनों वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए ‘रेड लाइट आॅन, गाड़ी आॅफ’ अभियान चलाया। दिल्ली के अंदर बाहर से जो पराली का प्रदूषण आता है, उसको भी रोकने के लिए बाॅयो डी-कंपोजर पर काम कर रहे हैं। दिल्ली देश का पहला राज्य है, जिसने अपने थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। दिल्ली सरकार की यह मंसा और कोशिश है कि अभी 15 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है। आगामी दिनों हम दिल्ली की जनता के साथ मिल कर प्रदूषण को कम करने के लिए युद्ध स्तर पर चैतरफा काम करेंगे। हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली को पर्यावरण के और अनुकूल बनाया जाए।
श्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर पड़ोसी राज्यों के साथ बातचीत केंद्र सरकार की पहल पर निर्भर है। केंद्र सरकार का रवैया जो सामने आया है, वह संतोषप्रद नहीं है। प्रदूषण को कम करने की बात तो अलग है, हम पिछले एक साल से बात कर रहे हैं कि दिल्ली-एनसीआर के अंदर जितने भी थर्मल पावर प्लांट हैं, जो प्रदूषण पैदा कर रहे हैं, उनको बंद किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार सुनने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार ईंट भट्ठों से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकने को तैयार नहीं है, धूल प्रदूषण को लेकर कोई माप तोल नहीं है और उसी का परिणाम दिख रहा है। उन्होंने कहा, प्रदूषण पैदा करने वालों पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार ने एयर क्वालिटी कमीशन नाम से एक अथॉरिटी बनाई थी। सबसे बड़ी बात यह है कि अब यह अथॉरिटी ही खत्म हो गई है। केंद्र सरकार जब तक प्रदूषण के मसले पर गंभीर नहीं होगी, तब तक इन चीजों को करना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम बार-बार केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि उत्तर भारत में प्रदूषण का जो मसला है, वह एयर सेट का मसला है। हम दिल्ली में जितनी मेहनत कर रहे हैं, हमारी उस मेहनत पर भी पानी फिर जा रहा है, क्योंकि जब हवा चलती है और उसकी वजह से प्रदूषण की चादर दिल्ली के अंदर आ जाती है और दिल्ली के लोगों को भी उसे झेलना पड़ता है। इसलिए केंद्र सरकार से हम बार-बार अनुरोध करते हैं कि एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है। जो अथाॅरिटी बनाई गई थी और अब बन्द हो गई है, उसको तुरंत सक्रीय किया जाना चाहिए। हमने पराली के मसले पर एयर क्वालिटी कमीशन में एक पीटिशन दायर की थी, अब जब वह कमीशन ही खत्म हो गया है, तो हमारे उस पीटिशन पर कौन विचार करेगा? मुझे लगता है कि अगर अभी से हम मिल कर पहल करें, तो अगले साल में बेहतर किया जा सकता है।