एनडीएमसी ने किया नई शिक्षा नीति पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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नई दिल्ली, नगर संवाददाता: नई शिक्षा नीति के विजन और मिशन को समझने के उद्देश्य से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने दो दिनों की एक कार्यशाला का आयोजन किया। एनडीएमसी अध्यक्ष धर्मेंद्र ने इस कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में दीप प्रज्वलित करके किया। नई शिक्षा नीति पर कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए चेयरपर्सन धर्मेंद्र ने कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के विजन, मिशन और दर्शन की समझ को अपनाने के लिये ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन की आवश्यकता को महसूस करते हुए किया गया है। इससे नई नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम और प्रासंगिक शिक्षाशास्त्र एवं उसके मूल्यांकन, सार्वभौमिकरण के समावेश, बचपन की देखभाल में शिक्षा के महत्व और शिक्षा मूल्यों के साथ जीवन कौशल की संभावना के बारे में भी बताया जाएगा। श्री धर्मेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के बाद नीति की सामग्री और उद्देश्य पर इस प्रकार के पुनश्चर्या कार्यक्रम आयोजित करना इस समय की आवश्यकता है। उन्होंने पालिका परिषद के सभी शिक्षकों से नई शिक्षा प्रणाली से बेहतर परिणाम के लिए नीति की मंशा और भावना सीखने और समझने का आग्रह किया। उन्होंने तीन महीने के बाद और अधिक कार्यशालाओं के संगठन के लिए सुझाव दिया कि वे नीति के कार्यान्वयन में आने वाली विभिन्न बाधाओं और कठिनाइयों को हल करें और शिक्षकों की सभी समस्याओं का समाधान भी कर सकें। उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञ या रिसोर्स कार्यकर्ता जमीनी स्तर की वास्तविकताओं या कार्यान्वयन के मूल्यांकन तक पहुंचने के लिए स्कूलों का दौरा भी करें। उन्होंने पालिका परिषद के स्कूलों में शिक्षकों से नई नीति के सफल कार्यान्वयन की आशा वयक्त की। इस कार्यशाला में निदेशक (शिक्षा) डी.पी. सिंह ने बताया कि पालिका परिषद के शिक्षा विभाग के लिए एक वेबसाइट पर काम चल रहा है, जिसमें शिक्षकों, छात्रों के साथ-साथ शिक्षा से जुड़े अधिकारियों की सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाएगा और इस वेबसाइट को तीन महीने के भीतर लॉन्च किया जाएगा। इस कार्यशाला के विभिन्न सत्रों को अनीता शर्मा, डॉ गीतांजलि कुमार, डॉ धर्म प्रकाश, मंजीत और कविता राणा जैसे शिक्षा नीति के विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा संबोधित किया गया और शिक्षकों के साथ उनके प्रश्नों पर बातचीत करके उनकी शंकाओं का समाधान भी किया गया। इस अवसर पर सभी स्कूलों के प्रमुखों, प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य और प्राथमिक विद्यालयों के हेड मास्टर्स, प्राथमिक स्कूल प्रभारी, स्वतंत्र प्राथमिक और नर्सरी स्कूल के अध्यापक भी उपस्थित थे।

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