नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेटी इंजीनियर हर्षिता से 34 हजार रुपये की ठगी में उत्तर जिला साइबर सेल ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि तकनीकी जांच के आधार पर भरतपुर-मथुरा सीमा से 26 वर्षीय साजिद, 18 वर्षीय कपिल और 25 वर्षीय मनविंदर सिंह को पकड़ा गया है। साजिद हरियाणा के नूंह का रहने वाला है जबकि कपिल और मनविंदर मथुरा के रहने वाले हैं। मुख्य आरोपी 25 वर्षीय वारिस अभी फरार है।
पुलिस के अनुसार, इस संबंध में सिविल लाइंस थाने में सात फरवरी को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसने ओएलएक्स पर पुराना सोफा सेट और कम्प्यूटर टेबल की बिक्री का विज्ञापन दिया था। आरोपियों में से एक ने इसे खरीदने की बात करते हुए उससे संपर्क किया था। आरोपी ने खाते की पुष्टि के नाम पर पहले मामूली राशि पीड़िता के खाते में भेजी। इसके बाद आरोपी ने एक क्यूआर कोड भेजा और कहा कि उसे स्कैन करने पर उनके खाते में रुपये पहुंच जाएंगे। लेकिन, क्यूआर कोड स्कैन करते ही पीड़िता के खाते से 20,000 रुपये कट गए। पीड़िता ने आरोपी से इसकी शिकायत की तो उसने कहा कि गलती से उसने गलत क्यूआर कोड भेज दिया था। उसने कहा कि वह दूसरा सही क्यूआर कोड भेज रहा है, जिसे स्कैन करने पर रुपये खाते में आ जाएंगे। जैसे ही पीड़िता ने क्यूआर कोड स्कैन किया, खाते से 14,000 रुपये और कट गए।
डीसीपी अंटो अल्फोंस की एफआईआर दर्ज कर जांच को साइबर सेल को सौंप दिया था। जांच के लिए इंस्पेक्टर सुनील शर्मा के नेतृत्व में एसआई रोहित सारस्वत की टीम गठित की गई और वारदात में प्रयुक्त बैंक खातों की जांच शुरू की गई। इस पूरी वारदात में यूपी-हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर बसे मेवाती गिरोह के हाथ होने के सबूत मिले थे। जांच में बैंक खाते फर्जी दस्तावेज के आधार पर पाए गए। लेकिन इन खातों से आगरा में रुपये निकाले गए थे। इस आधार पर एसआई रोहित ने टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से बुधवार को कपिल, फिर साजिद और बाद में मानवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी वारिस अभी फरार चल रहा है।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि गिरोह का सरगना वारिस है, जिसकी अभी पुलिस को तलाश है। गिरफ्तार तीनों आरोपी कमीशन पर वारिस के लिए काम करते थे। जांच में सामने आया है कि साजिद का काम फर्जी कागजों पर बैंक खाते खुलवाना था। साजिद ने कपिल और मानवेंद्र के नाम पर भी खाते खुलवाए थे। ठगी की राशि वारिस के खाते में भेजी गई। गिरोह के पास 17 बैंक खाते मिले हैं। गिरोह एक बैंक खाता का उपयोग आठ से दस दिन तक ही करता था। फिर इसके बाद दूसरे खाते का प्रयोग करता था। अभी तक की जांच में इन खातों में 15 लाख रुपये के लेनदेन का पता चला है।