मुंबई/नगर संवाददाता : नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर बढ़ते विरोध के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इस बात पर बल दिया कि इसके क्रियान्वयन से पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर इस कानून को लेकर झूठा प्रचार अभियान में शामिल होने का आरोप लगाया।
शाह ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह संशोधित नागरिकता अधिनियम को लेकर ‘झूठा’ अभियान चला रहा है और हिंदू-मुसलमानों के बीच खाई पैदा कर रहा है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्षी दलों के नेताओं को चुनौती दी कि वे बयान जारी करें कि वे चाहते हैं कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सभी मुसलमानों को भारत की नागरिकता दी जाए।
शाह ने कहा कि सीएए में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। इसे पिछले हफ्ते संसद में पारित किया गया और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि यह किसी की नागरिकता नहीं छीनता।
प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस के पाले में गेंद डालते हुए शाह ने कहा कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा असम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की वजह से इस प्रावधान का सूत्रपात राष्ट्रीय पार्टी द्वारा ही हुआ था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सीएए की नींव रखी थी।
उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उनसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हो रही हिंसा में हस्तक्षेप का अनुरोध किया और मोदी सरकार से असंवैधानिक व विभाजक नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की। उन्होंने इन कानून के बनने के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों और उसके बाद हुई पुलिस कार्रवाई पर एक जांच आयोग बनाने की भी मांग की।