इंदौर/नगर संवाददाता : यदि यह खबर किसी तरह बांग्लादेश के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर मुशफिकुर रहीम तक पहुंच गई तो चाचा नूर बक्श की शामत आ सकती है जो अपने वतन का नाम इंदौर में डुबो रहे हैं। चाचा नूर अपनी बुरी लत से मजबूर हैं। यह लत है हाथ फैलाने की, वह भी पापी पेट की खातिर
मुशफिकुर रहीम का नाम बांग्लादेश के क्रिकेट में बड़े अदब से लिया जाता है। उन्होंने 68 टेस्ट खेलकर 4072 रन बनाए, जिसमें 6 शतक, 2 दोहरे शतक और 19 अर्धशतक लगाए। रहीम ने 216 वनडे खेले और 6100 रन बनाए, जिसमें 7 शतक और 37 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने 84 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिसमें 5 अर्धशतक के सहारे 1265 रन बनाए हैं।
10 नवम्बर को रहीम ने नागपुर में भारत के खिलाफ तीसरा और अंतिम टी20 मैच भी खेला था। वे इंदौर में खेल रही बांग्लादेश की टेस्ट टीम से बाहर हैं। रहीम का दिल दरिया के समान है और यही कारण है कि वे बरसों से अपने देश के बुजुर्ग प्रशंसक चाचा नूर बक्श का पूरा खयाल रखते आ रहे हैं। मैच के दौरान चाचा जिस शहर में जाते हैं, उनके रहने और खाने का खर्च रहीम ही उठाते हैं।
14 नवम्बर से शुरू हुए पहले टेस्ट मैच के लिए बांग्लादेश टीम 3 दिन पहले इंदौर आ गई थी। 12 और 13 नवम्बर को वह अभ्यास करने होलकर स्टेडियम पहुंची। मैच गुरुवार से शुरू हुआ लेकिन बुधवार को जब टीम स्टेडियम के भीतर अभ्यास में जुटी थीए तब चाचा नूर बक्श हाथ में तंबूरा लिए अभय प्रशाल के सामने लोगों से खाना खाने के लिए पैसे मांग रहे थे।
इंदौर के दानवीरों की दरियादिली भी देखिए कि जब उन्होंने बुजुर्ग चाचा को सीने पर बांग्लादेश क्रिकेट का बैज और सिर पर बांग्लादेश की टोपी देखी तो उन्होंने खुले दिल से इतने पैसे दिए कि चाचा की जेब भर गई। बांग्लादेश टीम के साथ आए एक शख्स ने भी इसकी पुष्टि की कि चाचा भूख मिटाने के नाम पर लोगों से पैसे मांगा करते हैं।
14 नवम्बर को जब भारत और बांग्लादेश के बीच पहला टेस्ट शुरू हो गया तो चाचा नूर बक्श स्टेडियम में नजर आए। मैदान पर भले ही बांग्लादेश के विकेट सूखे पत्तों की तरह गिर रहे थे, लेकिन चाचा नूर बक्श टीम की हौंसलाअफजाई में जुटे थे।
बांग्लादेश टीम के साथ प्रशंसकों की कोई बड़ी फौज तो नहीं आई है अलबत्ता मीडिया से 40 पत्रकार जरूर आए हैं, जिनमें से 25 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से है। साथ ही साथ बांग्लादेशी शेर के नाम से मशहूर शोएब भी इंदौर पहुंचा है, जो अपने एक हाथ में बांग्लादेश का झंडा तो दूसरे हाथ में शेर (सॉफ्ट टॉय)रखता है। मैच के पहले दिन शोएब के समीप ही चाचा नूर बक्श भी खड़े नजर आए।
कुल लोगों के लिए क्रिकेट का जुनून ही उनकी जिंदगी बन गया है। जिस तरह सचिन तेंदुलरकर के भक्त सुधीर के लिए है। टीम इंडिया से लेकर पूरी क्रिकेट बिरादरी सुधीर गौतम को जानती है। जहां भी भारतीय टीम का मैच होता है, वहां सुधीर हाथों में तिरंगा लिए नजर आते हैं। सुधीर का पूरा खर्च सचिन ही उठाते हैं, यहां तक कि विदेश में मैच होने पर ही वे सचिन से मदद लेते हैं।
पाकिस्तान के चाचा अब्दुल जलील और श्रीलंका के सेनानायका पर भी क्रिकेट का जुनून सवार है। जहां भी पाकिस्तान या श्रीलंका की टीम अपने मैच खेल रही होती है, वहां जलील और सेनानायका जरूर नजर आते हैं लेकिन इन जुनूनी क्रिकेट प्रशंसकों को कभी भी किसी के आगे हाथ पसारते नहीं देखा गया।