नई दिल्ली/नगर संवाददाता : दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन को सेना अब आम लोगों के लिए खोलने की तैयारी कर रही है। सियाचिन में भारतीय जवान सर्दी के मौसम में माइनस 60 डिग्री की जमा देने वाली ठंड में देश की रक्षा के लिए फौलाद की तरह डटे रहते हैं। इससे लोग सीमा क्षेत्र में तैनात जवानों की चुनौतियों के बारे में जान सकेंगे। राष्ट्रीय एकता और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से यह फैसला महत्वपूर्ण है।
सेना प्रमुख जनरल रावत ने मंगलवार को कहा है कि नागरिकों को सीमा क्षेत्र में तैनात जवानों की चुनौतियों से रूबरू कराने के लिए भारतीय सेना अपने ऑपरेशनल एरिया पर्यटन के लिए खोलने जा रही है।
दुनिया सबसे ऊंची रणभूमि सियाचिन के दुर्गम क्रिवासए अग्रिम चौकियों और तमाम उन इलाकों को खोला जाएगा, जिनके बारे लोग अकसर अखबारों में पढ़ते हैं। करगिल की उन चोटियों को भी नागरिक देख सकेंगे जिन्हें कभी पाक सेना के इशारे पर आतंकियों ने कब्जे में कर लिया था।
लोग अब सिक्किम से लेकर अरुणाचल और नगालैंड तक के उन सैन्य इलाकों में भी जा सकेंगे जहां चीन के साथ विवाद के चलते जाने की अनुमति नहीं है। इनमें अरुणाचल की तवांग घाटी और नगालैंड के वर्जित इलाके भी शामिल होंगे।
सेना ने लोगों को सियाचिन ले जाने की शुरुआत 2007 में की थी। इसके तहत साल में एक बार 30.35 लोगों के एक समूह को ग्लेशियर की सैर करवाई जाती रही है। लेह में हफ्तेभर ट्रेनिंग के बाद उन्हें दुर्गम चोटियों तक ले जाते हैं। सेना अभी तय कर रही है कि किन इलाकों के लिए अनुमति होगी। सैन्य इलाकों में लोगों के जाने के लिए परमिट व्यवस्था पर भी विचार हो रहा है।
सियाचिन अब लद्दाख में है जो केंद्र शासित प्रदेश घोषित हो चुका है। इस फैसले का मकसद आम लोगों को आम लोगों के जीवन से जोड़ना है।