बेंगलुरू/नगर संवाददाता : बेंगलुरु। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का धरती पर स्थित मिशन कंट्रोल रूम से भले ही संपर्क टूट गया हो, जबकि वह सिर्फ 2.1 किलोमीटर तक दूर था। लेकिन इसरो का यह मिशन नाकाम नहीं हुआ है, क्योंकि उम्मीदें अभी भी बाकी हैं। 978 करोड़ रुपए लागत वाले इस मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है। आज हमारे रास्ते में भले ही एक रुकावट आई हो, लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं हैं।
हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाती है।
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का धरती पर स्थित मिशन कंट्रोल रूम से आखिरी वक्त पर लैंडर से संपर्क टूट गया, जबकि वह सिर्फ 2.1 किलोमीटर तक दूर था। तभी अचानक उससे सिग्नल आने बंद हो गए। कम्युनिकेशन लिंक को कनेक्ट करने के प्रयास जारी हैं। लैंडर विक्रम के भविष्य और उसकी स्थिति के बारे में भले ही कोई जानकारी नहीं है कि यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया या उसका संपर्क टूट गया, चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है।
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है। एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है। जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है। इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया। लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था, और इसरो के अधिकारी नियमित अंतराल पर खुशी जाहिर कर रहे थे।
‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का संपर्क टूट जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। वे इस मिशन का सीधा नजारा देखने के लिए इसरो केंद्र पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों से कहा, आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं। आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जूझते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज भले ही कुछ रुकावटें हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है, बल्कि और मजबूत हुआ है। हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं। हम निश्चित रूप से सफल होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा,
इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी। आज हमारे रास्ते में भले ही एक रुकावट आई हो, लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं हैं। आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छाशक्ति और दृढ़ हुई है, संकल्प और प्रबल हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदीने कहा, हमारे हजारों वर्षों का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब शुरुआती रुकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक सिद्धियां हासिल की हैं। खुद इसरो भी कभी न हार मानने वाली संस्कृति का जीता.जागता उदाहरण है।