लखनऊ, उत्तर प्रदेश/नगर संवाददाताः मंगलवार को लखनऊ में वायु प्रदूषण बढ़कर 484 पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार लखनऊ का एक्यूआइ देश में सबसे ज्यादा रहा। दिल्ली में मंगलवार को एक्यूआइ 308 रिकार्ड किया गया। यानी राजधानी ने दिल्ली को भी पछाड़ दिया। केवल राजधानी ही नहीं गाजियाबाद में एक्यूआइ 467, कानपुर में 448, मुरादाबाद में 420, नोएडा में 410 और वाराणसी में इसका स्तर 400 रिकॉर्ड किया गया। बतातें चले कि इसकी एक मुख्य वजह जाम भी रहा। जानकार बताते हैं कि मंगलवार को शहर के अधिकतर हिस्सों में जाम की स्थिति बनी हुई थी जिसके चलते प्रदूषण अपने चरम स्तर पर पहुंच गया था। उधर, मौसम विभाग ने भी किसी तरह के बदलाव की संभावना से इनकार किया है। ऐसे में जाहिर है कि बुधवार को भी प्रदूषण की स्थिति ऐसे ही बनी रहेगी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हालात बेकाबू देख अब लखनऊ में भी प्रदूषण कम करने के लिए प्रशासन ने मैनेजमेंट प्लान तैयार किया है जिसके तहत दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाई जा सकती है। राजधानी में लगातार खराब होती हवा के मद्देनजर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने मंगलवार को कई विभागों की बैठक बुलाकर रणनीति तय की। बैठक में प्रदूषण रोकने के लिए सभी की जवाबदेही तय की गई। डीएम ने कहा कि सभी विभागों को प्रदूषण नियंत्रित करना है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि राजधानी में भी डीजल और पेट्रोल वाहनों की संख्या कम करना ही एक विकल्प है। डीएम का कहना है कि एक माह तक लगातार वायु प्रदूषण के स्तर की जांच होगी। अगर स्तर नहीं घटा तो अन्य विकल्पों पर विचार होगा। डीएम ने विभागों को पर्यावरण के नुकसान का आकलन करने और एक माह के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। खुले में निर्माण सामग्री रखने पर आवास विकास, मेसर्स एकेडमिक ब्लाक राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट एंड मेडिकल साइंसेज समेत 22 कंस्ट्रक्शन इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस जारी कर चेतावनी दी है कि निर्माण सामग्री कवर करके रखें। ऐसा न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
लखनऊ में प्रदूषण सबसे ज्यादा, दिल्ली को भी छोड़ा पीछे
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