नई दिल्ली/नगर संवाददाताः उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन इसे एक धर्म या किसी दूसरे धर्म से जोड़ने का ‘खतरनाक खेल’ चल रहा है। लोगों को इससे सचेत करना होगा। किसी भाषा को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उप राष्ट्रपति इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, कई हिंदू तो मुस्लिमों से भी अच्छी उर्दू बोलते हैं। किसी भाषा को किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। पहला ध्यान मातृभाषा सीखने पर होना चाहिए।उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह साफ-साफ समझ लेना चाहिए। दुर्भाग्यवश, कुछ लोग आतंकवाद को एक धर्म या दूसरे धर्म से जोड़ रहे हैं। यह समाज के लिए समस्या है।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ मित्र आतंकवाद को धर्म के साथ जोड़ना चाहते हैं, ताकि लोगों को भ्रमित किया जा सके। कुछ लोग यह खतरनाक खेल खेल रहे हैं। हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कोई भी धर्म आतंक की शिक्षा नहीं देता।’ राज्यसभा के पदेन सभापति नायडू ने सांसदों से अपना कीमती वक्त बर्बाद नहीं करने और अच्छे कानून बनाने पर ध्यान देने की अपील की। वह बोले, ‘हमें रचनात्मक बनना है, न कि विध्वंसात्मक या बाधाकारी। संसद, विधानमंडल और अन्य निकायों को प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए ताकि हर व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ काम निकल कर सामने आ सके। हमें अपना कीमती वक्त नहीं बर्बाद करना चाहिए।’
धर्म को आतंक से जोड़ना खतरनाक : वेंकैया नायडू
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