नई दिल्ली/नगर संवाददाताः आठ नवंबर की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से देशवासियों को संबोधन करते हुए जब नोटबंदी की घोषणा की गई उसके बाद अगले कुछ हफ्तों तक घरेलू हिंसा के मामले में बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसकी वजह थी लोगों को इस बात का पता चलना कि पत्नी उनकी जानकारी के बिना पैसे बचा रही है। ये बात भोपाल के वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर (ओएससीसी) ने शिकायतों का विश्लेषण करने के बाद बताया। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, ओएससीसी को मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ चलानेवाली गैर सरकारी संस्था के क्षेत्रीय निदेशक सारिका सिन्हा ने कहा, “लोगों ने अपनी पत्नियों को धमकाया, उसे बुरी तरह पीटा और जेल जैसी सज़ा भुगतने की धमकी दी।” सारिका ने बताया, “महिलाएं पहले भी पैसे बचाती रही हैं, लेकिन इस तरह कभी पैसे बचाने की बातें सामने नहीं आयी। लेकिन, रातों रात वे सभी महिलाएं अपने पति की नजर में अपराधी हो गई।” टोल फ्री क्राइसिस नंबर पर नवंबर महीने में 1200 महिलाओं ने कॉल किए जबकि ऐसी कॉल्स अमूमन महीने में पांच सौ के करीब आती थी। इनमें 230 महिलाओं को काउंसलिंग की आवश्यकता पड़ी। आंकड़ों के विश्लेषण में यह भी पता चला कि जिन महिलाओं को काउंसलिंग की गई, उनमें से करीब करीब पचास फीसदी नोटबंद के चलते अपने पतियों के हाथों हिंसा का शिकार हुई थी।
नोटबंदी के बाद घरेलू हिंसा में भारी बढ़ोत्तरी, महिलाओं पर बढ़े जुल्म
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