घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर देश के लिए शहीद हुआ देवभूमि का एक और लाल

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देहरादून, उत्तराखंड/नगर संवाददाताः पिता की आंखे नम है, सर फक्र से ऊंचा है, मां का रो-रो कर बुरा हाल है। जी हा देश की शरहदों की हिफाजत के लिए देवभूमि का एक और लाल ने अपनी जान दी है। 6वीं गढवाल राइफल में तैनात राइफलमैन संदीप रावत आतंकवादियों से आमने-सामने की लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हो गए। देहरादून स्थित उनके घर पर इस सूचना के बाद मातम पसरा है। मात्र 24 साल की उम्र में शहीद हुए संदीप रावत ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा क्षेत्र के तंगधार सेक्टर की है जहां 27 अक्टूबर को 12 बजे दिन के समय पेट्रोलिंग पर गई संदीप रावत की टुकड़ी पर आंतकवादियों ने हमाल बोल दिया।भारतीय फौज के जवानों ने भी जवाबी हमला किया और उग्रवादियों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया। सीमा पर हुई इस लड़ाई में राइफलमैन संदीप शहीद हो गए और एक और जवान घालय हो गया। जैसे ही यह सूचना देहरादून स्थित नवादा उनके घर पहुंची परिवार में मातम पसर गया. मां आशा रावत का रो-रो कर बुरा हाल है। 24 और 25 अक्टूबर को संदीप ने घरवालों से बात की और दीवाली में छुट्टी पर आने के लिए कहा था। संदीप का बड़ा भाई दीपक रावत दुबई में रहता है। संदीप की शहादत की खबर से पूरे इलाके में गर्व के साथ माहौल गमगीन बना हुआ है। पिता की आंखें नम है और सीना गर्व से चौड़ा। रुआंसे गले से पहले तो वे कुछ बोल नही पाएं। आंखों ने शायद आसुओं को सोख दिया था. संदीप रावत के पिता भी फौज से रिटायर हुए है। वो कहते है कि संदीप बचपन से फौज में भर्ती होने के लिए कहता था। बारहवीं करने के बाद से उसने फौज में जाने की तैयारी शुरु कर दी थी। शहीद संदीप के पिता हरेन्द्र सिंह रावत समझ सकते हैं अपने बेटे की शहादत। संदीप के पिता ने कहा कि मरना तो सभी को है बेटा देश के लिए सीने पर गोली खाकर शहीद हुआ है। हरेन्द्र सिंह ने कहा कि तंगधार सेक्टर से हमेशा उग्रवादियों की घुसपैठ होती रहती है। भारत पाकिस्तान बार्डर का यह क्षेत्र काफी संवेदनशील है और वे भी इस क्षेत्र में देश की सेवा कर चुके हैं। संदीप रावत जनवरी 2015 में 6वीं गढवाल राईफल में भर्ती हुआ था। हाल ही में संदीप की बटालियन जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात हुई. संदीप की शहादत की खबर के बाद दीपों के त्यौहार दीवावली से पहले घर में सन्नाटा पसरा है। संदीप के पिता के साथ ही फौज से रिटायर हो चुके डीएस कुंवर ने कहा कि तंगधार इलाका आतंकवादियों का गढ है और इस क्षेत्र से आंतकवादी लगातार घुसपैठ करते रहे हैं। लेकिन संदीप रावत की टुकड़ी ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। जान हथेली पर रखकर पेट्रोलिंग कर रही संदीप रावत की टुकडी ने आंतकवादियों को वहां से खदेड़ दिया और इस लडाई में संदीप रावत ने अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए। उत्तराखंड की भूमि वीरों की जननी रही है। संदीप रावत की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर आंतकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर संदीप रावत ने अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन किया। पौड़ी गढवाल के बीरोखाल क्षेत्र के मूल निवासी संदीप की शहादत पर देहरादून से लेकर गांव तक सभी गर्व कर रहे है।

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