अगले साल फरवरी में रायपुर में होगा कांग्रेस का तीन दिवसीय अधिवेशन

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नई दिल्ली, नगर संवाददाता। कांग्रेस का तीन दिवसीय अधिवेशन अगले साल फरवरी महीने में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगा।पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस संचालन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि अधिवेशन फरवरी के दूसरे पखवाड़े में होगा जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने यह भी फैसला किया कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन के बाद आगामी 26 जनवरी से देश भर में ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान शुरू किया जाएगा जिसके तहत ब्लॉक, पंचायत और बूथ के स्तर पर लोगों से संपर्क साधा जाएगा।
वेणुगोपाल ने बताया कि दो महीने तक चलने वाले इस अभियान में राहुल गांधी के संदेश वाला पत्र भी लोगों को सौंपा जाएगा।
पार्टी के अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर खरगे के निर्वाचन पर मुहर लगेगी और फिर नई कार्य समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार संचालन समिति की बैठक हुई।
पिछले महीने पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के शीर्ष निकाय कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के स्थान पर इस संचालन समिति का गठन किया था। बैठक में खरगे के अलावा पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कई अन्य नेता शामिल थे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने के चलते इस बैठक में भाग नहीं ले सके।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा था, ‘‘कांग्रेस संचालन समिति की बैठक का मुख्य उद्देश्य यह तय करना है कि अधिवेशन सत्र कब होगा और इसे कहां आयोजित किया जाए। इसी मुद्दे पर चर्चा होगी।’’ पार्टी सूत्रों ने बताया कि संचालन समिति की इस अहम बैठक में संगठनात्मक विषयों पर भी चर्चा हुई।
खरगे ने बैठक की शुरुआत में संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक जवाबदेही की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि जो लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में अक्षम हैं, उन्हें नए लोगों को मौका देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी पहले खुद की जिम्मेदारी सुनिश्चित करें तथा जनांदोलन के संदर्भ में 30 से 90 दिनों के भीतर रूपरेखा तैयार करें। खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने के शीघ्र बाद कार्यसमिति के लगभग सभी सदस्यों को संचालन समिति का सदस्य बनाया गया था।