डीयू में शिक्षक संघ चुनाव कल, समायोजन और नियुक्ति प्रमुख मुद्दा

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नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ चुनाव 26 नवंबर को आयोजित होने जा रहे हैं। हर दो साल पर होने वाले इस चुनाव में इस बार तदर्थ शिक्षकों का समायोजन और रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्तियां प्रमुख मुद्दा है। हालांकि नई शिक्षा नीति का विरोध, पेंशन, पदोन्नति के अलावा केंद्र सरकार द्वारा सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों को भी शिक्षक संगठनों अपने एजेंडा में रखा है।

चुनाव नजदीक आते देख प्रत्याशी न केवल समूहों में शिक्षकों को बुलाकर बैठक कर रहे हैं बल्कि उनके घर भी जा रहे हैं। कॉलेजों में स्टॉफ एसोसिएशन के बीच भी बैठकें हो रही हैं और अध्यक्ष पद के दावेदारों के बीच प्रेसिडेंशियल डिबेट का भी आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान संगठन खुल कर शिक्षकों के बीच अपने मुद्दे रख रहे हैं वहीं शिक्षक भी नेताओं के समक्ष अपनी समस्या रख रहे हैं।

प्रमुख तीन शिक्षक संगठन चुनाव मैदान में हैं। इसमें पहला शिक्षक संगठन नेशनल ड्रेमोकेटिक टीचर्स फ्रंट है जिसके अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रो.अजय कुमार भागी हैं। जबकि दूसरा संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट है जिसकी अध्यक्ष पद की उम्मीदवार डा.आभा देब हबीब हैं और तीसरा शिक्षक संगठन एकेडमिक फार एक्शन एंड डेवलेपमेंट है जिसके उम्मीदवार डा.प्रेमचंद हैं। सभी शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों ने जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है।

एकेडमिक फार एक्शन एंड डेवलेपमेंट के उम्मीदवार डा.प्रेमचंद का कहना है कि हमारा मुख्य मुद्दा समायोजन का है। वर्षों से तदर्थ शिक्षक पढ़ा रहे हैं और आज भी उनके ऊपर नौकरी जाने की तलवार लटक रही है। हम नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इसमें शिक्षा के निजीकरण का एजेंडा निहित है। हम एक बार में स्थाई नियुक्ति प्रावधान, पदोन्नति सहित अन्य मुद्दों के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) चुनाव में एनडीटीएफ के एजेंडे में सबसे पहले हजारों की संख्या में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों का नियमितीकरण करवाना रहेगा। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एन डी टी एफ) की तरफ से अध्यक्ष पद के दावेदार प्रो.अजय कुमार भागी ने बताया कि डीयू में बड़े स्तर पर शिक्षकों की पदोन्नति हुई है और हमारी कोशिश आगे नियमितीकरण की है। विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए जारी प्रयासों को डूटा के माध्यम से हम लोग अंजाम तक पहुंचाएंगे। डूटा अब शिक्षक हितों की रक्षा सुनिश्चित करते हुए विश्वविद्यालय के सभी सहभागियों की बेहतरी के लिए पहचाना जाएगा। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में हुई पदोन्नति की प्रक्रिया ने साफ कर दिया है कि अब दलगत राजनीति नहीं चलेगी विश्वविद्यालय शिक्षकों का नेतृत्व वहीं करेगा जो निष्पक्ष होगा। शिक्षकों के लिए चाहे दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार सभी स्तर पर संवाद और आवश्यकता पड़ने पर संघर्ष भी किया जाएगा।

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार डा. आभा देब हबीब का कहना है कि सरकार जिस तरह नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा का निजीकरण कर रही है उसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोग तदर्थ शिक्षकों के समायोजन, रिक्त पदों पर नियुक्तियों के लिए संघर्ष करते आए हैं और आगे भी करेंगे। आज डूटा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती तदर्थ शिक्षकों का समायोजन है। आज तदर्थ शिक्षकों के समक्ष कोई सुविधा नहीं है। न तो उनके पास कोई स्वास्थ्य अवकाश है न मातृत्व अवकाश है।