नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने रविवार को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में विधिक सेवा शिविर का उद्घाटन किया और पांच मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह वैन नागरिकों को उपलब्ध कानूनी सेवाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरेंगी।
अखिल भारतीय अभियान के तहत शिविर का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नलसा) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि कोविड-19 महामारी कानूनी सेवा संस्थानों के उत्साह को कमजोर नहीं कर पाई बल्कि और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्साह और बढ़ा है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘उद्घाटन की शुरुआत न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने पांच मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर की, जो तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरेंगी और कानूनी सेवा संस्थानों द्वारा आम लोगों को उपलब्ध कराई जाने वाली कानूनी सेवाओं के बारे में जागरूकता फैलाएंगी।’’
विज्ञप्ति के मुताबिक समारोह के दौरान न्यायमूर्ति ललित ने ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक भूखंड को कब्रिस्तान के रूप में चिह्नित करने के जिलाधिकारी के मंजूरी आदेश की एक प्रति प्रदान की। ट्रांसजेंडर लोगों के समूह ने अखिल भारतीय अभियान के दौरान विधिक सेवा प्राधिकरण से उनके इलाके में कब्रिस्तान स्थापित करने की मांग की थी।
विज्ञप्ति में कहा गया कि शिविर में महामारी के दौरान अनाथ हुए 26 बच्चों के लिए तीन-तीन लाख रुपये दिए गए जबकि 50 से अधिक दिव्यांगजनों को विकलांगता प्रमाण पत्र वितरित किए गए।