गाजियाबाद, नगर संवाददाता: मार्च पूरा होने को है लेकिन अभी तक निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। जिलें में एक लाख से अधिक गोवंश हैं जिसमें से साढ़े चार हजार के करीब निराश्रित हैं। निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत जिले को 1200 का लक्ष्य दिया गया था जिसमें से अभी कुल 582 गोवंश संरक्षित हुई हैं। पशुपालक 30 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से गोवंश पालने के लिए तैयार नहीं हैं। यहीं कारण है कि शासन से मिले लक्ष्य के सापेक्ष काफी कम लक्ष्य पूरा हो पाया है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के सापेक्ष जिले में लक्ष्य काफी अधिक दिया गया है। शासन से लक्ष्य कम करने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत निराश्रित गोवंश को इच्छुक लोगों को पालने के लिए दिए जाने की योजना थी जिससे कि उनकी देखभाल बेहतर ढंग से हो सके। इसके लिए पशुपालक को एक गोवंश पालने के एवज हर माह 900 रुपये दिए जाते हैं, जिससे गोवंश को पालने का भार पशुपालक पर न पड़े। लेकिन पशुपालकों का कहना है कि जो राशि दी जा रही है इतनी धनराशि में एक पशु के चारे का खर्च नहीं पूरा हो पाता है। उनका कहना है कि एक पशु को पालने में प्रतिदिन कम से कम 150 से 200 रुपये का खर्चा आता है। इसके लिए शासन की ओर से कम से कम 100 रुपये प्रति पशु मिलने चाहिए, जिससे गोवंश का भरण-पोषण करने में लोगों को परेशानी न आए।
कुपोषित परिवारों में आठ की हुई संख्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना के तहत कुपोषण दूर करने के लिए कुपोषित बच्चों के परिजनों को गाय देने की योजना बनाई थी। इसके तहत कुपोषित बच्चों को परिजनों को सहभागिता योजना के तहत गाय देनी थी। इस योजना के तहत शुरूआत में छह लोगों को गाय दी जा सकी और कई महीनों के बाद अब दो परिवार आगे आए हैं। कुल मिलाकर अभी तक महज आठ परिवारों को इस योजना के तहत गाय पालने को दी गई है। इनसेटः डीएम के जरिए लक्ष्य कम कराने का प्रस्ताव शासन तक भेजा गया था जो स्वीकृत हो चुका है। पूरे प्रदेश में लक्ष्य को रिवाइज किया गया है। अब 1200 की जगह 582 का लक्ष्य हो गया है। इस लिहाज से हमारा लक्ष्य पूरा हो गया है।