अस्पताल संचालक के अपहरण व फिरौती में चार आरोपित दोषी करार

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गुरुग्राम, नगर संवाददाता: पुष्पांजलि अस्पताल के संचालक व नामी यूरोलाजिस्ट डा. एसपी यादव के डाक्टर पुत्र डा. श्रेयस का अपहरण कर 55 लाख रुपये की फिरौती वसूलने के मामले में जिला अदालत ने चार आरोपितों को दोषी करार दिया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार की अदालत ने इस मामले में एक आरोपित को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस बहुचर्चित मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। अगली सुनवाई में सजा सुनाए जाएगी।

डा. एसपी यादव का गुरुग्राम के सिविल लाइन में पुष्पांजलि तथा इसी नाम से रेवाड़ी में अस्पताल है। दोनों अस्पतालों की व्यवस्था डा. एसपी यादव व उनके पुत्र डा. श्रेयस देखते हैं। डा. एसपी यादव ने गुरुग्राम के सिविल लाइन थाना में 26 मार्च वर्ष 2019 में मामला दर्ज कराया था, जिसमें बताया था कि उनके पुत्र डा. श्रेयस 16 मार्च अपनी कार से रेवाड़ी गए थे। रात नौ बजे तक वह नहीं लौटे थे। डा.एसपी यादव ने बेटे के मोबाइल पर काल की तो मोबाइल बंद मिला था।

रात करीब दो बजे उनके मोबाइल पर डा. श्रेयस के मोबाइल से वाट्सएप काल आई। काल करने वाले ने कहा आपके बेटे का अपहरण कर लिया गया है। यदि बेटे की सलामती चाहते हो तो 55 लाख रुपये जीटी रोड सोनीपत में दे जाओ। अपहरणकर्ता ने धमकी दी थी कि पुलिस को बताया को बेटे को मार देंगे। बेटे की सलामती के लिए डा. यादव ने 55 लाख रुपये की व्यवस्था कर 17 मार्च की रात को ही अपहर्ताओं के बताए स्थान सोनीपत जिले में कुंडली के पास जीटी रोड किनारे जाकर रकम दी थी। फिरौती लेने के बाद अपहर्ताओं ने डा. श्रेयस को छोड़ दिया था।

डा. यादव ने 10 दिन बाद सिविल लाइन पुलिस थाना में मामला दर्ज कराया था। मामले की जांच एसआइटी को दी गई। एसआइटी ने इस मामले में सोनीपत जिले के गांव पांची निवासी जोगेंद्र, इसी जिले के जाटीकला गांव निवासी दीपक तथा गोरड निवासी शिवकुमार उर्फ शिवा तथा पानीपत जिले के गांव रिगालू निवासी कमल मलिक तथा उत्तर प्रदेश के लखनऊ के जानकीपुरम निवासी अमितेश चैबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

18 जून 2019 को पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले की सुनवाई जिला अदालत में चली। अभियोजन पक्ष ने अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उसके आधार पर अदालत ने जोगेंद्र, दीपक, कमल तथा अमितेश चैबे को दोषी करार दिया गया। पांचवे आरोपित शिव कुमार उर्फ शिवा को सबूतों व गवाहों के अभाव में बरी कर दिया।

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