कैथल, नगर संवाददाता: महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल में पूर्व परीक्षा मूल्यांकन कार्यशाला का उद्घाटन संस्थापक कुलपति डॉ. श्रेयांश द्विवेदी द्वारा वैदिक एवं लौकिक मंत्रोचार के साथ किया गया। कार्यक्रम के प्रारंम्भ में कार्यशाला के उद्देश्यों को बताते हुए कुलपति ने कहा कि शास्त्रों के संरक्षण से ही भारतीय संस्कृति की रक्षा संम्भव है एवं शास्त्रों की रक्षा तभी संभव है जब हमारे बच्चे शास्त्रों का निरंतर अभ्यास करें तथा उनको गुरुमुख से सुनकर कण्ठस्थ करें। कोई भी शास्त्र तभी समाजोपयोगी सिद्ध होता है जब हमें वह शुद्ध कण्ठस्थ एवं जिह्वाग्र हो तथा उसके अर्थों का हमें भलीभांति ज्ञान हो। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय का उद्देश्य न केवल डिग्री प्रदान करना है अपितु शास्त्रों के गूढ़ से गूढतम पंक्तियों के अर्थों को आत्मसात करते हुए अपने को समाजोपयोगी तथा संस्कृतोपयोगी सिद्ध करना है। राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को भी इस विश्वविद्यालय से बहुत सारी उम्मीदे हैं जिनको हम निरंतर उत्तरोत्तर पूर्ण कर रहे हैं। इस कार्यशाला में सभी विभागों के विशिष्ट एवं विषय विशेषज्ञ आचार्यों के द्वारा अपने-अपने विषय के लक्षण ग्रंथों का पारायण कराया जा रहा है जो निरंतर सात दिनों तक चलेगा। कार्यक्रम के अन्त में बच्चों ने उत्साह दिखाते हुए ऐसे कार्यक्रमों को निरंतर करते रहने की इच्छा प्रकट की। कार्यक्रम का सकुशल संचालन डॉ. शशि कांत तिवारी ने किया।
पूर्व परीक्षा मूल्यांकन कार्यशाला का उद्घाटन वैदिक एवं लौकिक मंत्रोचार के साथ किया
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